Kashi Vishwanath Temple History : काशी विश्वनाथ मंदिर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में गंगा तट पर स्थित है | हिन्दुओं का यह प्राचीन एवं प्रमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित है | जिसमे शिव की पूजा आराधना श्रीविश्वनाथ के रूप में की जाती है |

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास (Kashi Vishwanath Temple History in Hindi)

“विश्वनाथ” का अर्थ होता है  “ब्रह्मांड के भगवान” यानि पुरे संसार की सृष्टि को चलाने वाले देवो के देव महादेव भगवान शिव से है | ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त एक बार यहां की पवित्र गंगा में स्नान कर श्रीविश्वनाथ के दर्शन कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्राचीन समय में इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जगद्गुरु आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ रामकृष्ण परमहंस, स्‍वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं। महाशिवरात्रि के शुभ पावन अवसर पर इस मंदिर में एक भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाडो के साथ निकाली जाती है |

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में स्थापित श्रीविश्वनाथ का यह सातवा ज्योतिर्लिंग माना गया है | इन मंदिरो को ज्योतिर्लिंग इसलिए कहा जाता है कियुँकि भगवान शिव इन स्थानो पर स्वयं प्रकट हुए थे | इसीलिए यह स्थान ज्योतिर्लिंग कहलाते है |

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काशी विश्वनाथ  मंदिर की पौराणिक कथा (Kashi Vishwanath Temple Story in Hindi)

हिन्दू धर्म के शिवपुराण में विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख किया हुआ है कहते हैं कि भगवान शिव प्रलयकाल के समय इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। यही सृष्टि स्थली भूमि कही जाती है | जिसके मुताबिक इस स्थान पर भगवान विष्णु ने सृष्टि उत्पन्न करने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था | फिर भगवान विष्णु की निद्रा करने पर भगवान शिव ने विष्णु की नाभि से निकले कमल में ब्रह्मा जी को उत्पन्न किया था| जिन्होने सारी सृष्टि की रचना की।

काशी विश्वनाथ मंदिर की निर्माण एवं सरचना ( Kashi Vishwanath Temple Architecture in Hindi)

1780 में महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था | और 1853 में महाराजा रणजीत सिंह ने 1000 kg शुद्ध सोने से बनवाया था |

काशी विश्वनाथ का यह मंदिर दो भागो में बंटा हुआ है दाहिने तरफ  शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं तो दूसरी तरफ भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं | इसीलिए काशी को मुक्ति का धाम भी कहते है |

जब मंदिर में मूर्तियों का श्रृंगार होता है तो सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं | इस मंदिर में शिव और शक्ति दोनों एक ही साथ विराजमान है | जो की बेहद अद्भुत है | मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में शिखर के ऊपर की ओर एक गुंबद है जो की श्री यंत्र से मंडित है |

मंदिर में तंत्र की द्रष्टि से चार प्रमुख द्वार है जिन्हे  शांति द्वार, कला द्वार, प्रतिष्ठा द्वार, और निवृत्ति द्वार के नाम से जाना जाता है | इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही महत्व है | इस मंदिर में तंत्र द्वार के साथ शिवशक्ति भी एक साथ विराजमान है ऐसी पूरी दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है |

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नए काशी विश्वनाथ मंदिर का रहस्य (Secrets of Kashi Vishwanath temple in Hindi)

कहते है काशी के कण-कण में बसा है श्रीविश्वनाथ यहां की रहस्य भरी कहानियां चमत्कारो से भरी पड़ी हैं | कहते है  काशी के कण-कण में बसा है श्रीविश्वनाथ यहां की रहस्य भरी कहानियां चमत्कारो से भरी पड़ी हैं | काशी में दो विश्वनाथ मदिर स्थापित है | नया मंदिर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद है जिसका महत्व भी उतना ही माना जाता है जितना पुराने वाले काशी विश्वनाथ का इस मंदिर में रूद्राभिषेक कराने से भक्तो की सारी मुरादे पूरी होती है |

अब आप सोच रहे होंगे की काशी में विश्वनाथ के दो मंदिर तो नए विश्वनाथ मंदिर की कहानी कुछ इस प्रकार है  पंडित मदन मोहल  कहते हैं की एक बार शिव भक्त मालवीय जी ने श्रीविश्वनाथ की उपासना की और उसी दिन शाम के समय उन्हें एक चमत्कारी मूर्ति के दर्शन हुए, और बाबा विश्वनाथ की स्थापना करने को कहा | मालवीय जी ने भगवान शंकर की आज्ञा समझकर तभी मंदिर का कार्य शुरू करा दिया | लेकिन बीमारी के चलते वो इस मंदिर को पूरा न करा सके | मालवीय जी की इस कहानी को सुनकर  उद्योगपति युगल किशोर बिरला ने इस मंदिर के कार्य को पूरा कराया |

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