केदारनाथ धाम का इतिहास, निर्माण, प्रचलित कथा,पंचकेदार, 12 ज्योत्रिलिंगा, आपदा (Kedarnath Dham History in Hindi)

हिमालय पर्वत की गोद में बसा केदारनाथ धाम का यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है जो की भारत के 12 ज्योतिर्लिंगो में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में सम्मिलित है भगवान् शिव को समर्पित इस मंदिर की गणना भारत के विशाल मंदिरो में की जाती है इस लख में आज हम आपको केदारनाथ धाम की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है तो आपसे निवेदन है की इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

केदारनाथ धाम का इतिहास (Kedarnath Dham History in Hindi)

Kedarnath Dham History in Hindi: कटवां पत्थरों से बनी इन भूरे रंग की विशाल शिलाखंडों से जोड़कर बनाया गया ये मंदिर एक 6 फुट के ऊंचे चबूतरे पर बना है 80 वि शताब्दी के इस मंदिर का गर्भगृह काफी प्राचीन है तीन तरफ पहाड़ों से घिरा केदारनाथ धाम का यह भव्य मंदिर जिसमे एक तरफ केदारनाथ पहाड़, जो की करीब 22 हजार फुट ऊंचा है दूसरी तरफ खर्चकुंड पहाड़, जो की 21 हजार 600 फुट ऊंचा है और तीसरी तरफ भरतकुंड पहाड़ है जो की लगभग 22 हजार 700 फुट ऊंचा है। केदारनाथ मंदिर में सिर्फ तीन पहाड़ो का ही नहीं बल्कि यहां पर मं‍दाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी इन पांच नदियों का संगम भी है जिसमे तीन नदियों का अब कोई अस्तित्व नहीं रहा लेकिन अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है।

केदारनाथ मंदिर का निर्माण (Kedarnath temple construction) 

6 फुट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा केदारनाथ का यह मंदिर 85 फुट ऊंचा, 187 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा है जिसकी दीवारें 12 फुट मोटी और बेहद मजबूत पत्थरों से बनाई गई है। मंदिर के गर्भगृह में अर्धा के पास चारों कोनों पर चार विशाल पाषाण स्तंभ हैं जिन पर मंदिर की छत टिकी हुई है और यह विशालकाय छत एक ही पत्थर की बनी है। अर्धा, जो चौकोर है, अंदर से पोली है और अपेक्षाकृत नवीन बनी है यहां की गवाक्षों में आठ पुरुष मूर्तियां हैं जो की अत्यंत कलात्मक हैं।

12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham is included in 12 Jyotirlingas)

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं में ऐसा उल्लेख किया गया है की भगवान शिव जहाँ-जहाँ स्वयं प्रकट हुए थे वह स्थान ज्योतिर्लिंग कहलाये इसीलिए उन 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है जिसमे उत्तराखंड में स्थित श्रीकेदारनाथ मंदिर भी भारत के 12 ज्योत्रिलिंगो में से पांचवा ज्योतिर्लिंग कहलाता है श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की पौराणिक कथा महाभारत के के युद्ध में विजय प्राप्त कर पांडवो से जुड़ी है।

केदारनाथ मंदिर की प्रचलित कथा (Story of Kedarnath temple in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार हिमालय के केदार पर्वत पर महातपस्वी विष्णु अवतार नारायण ऋषि ने तपस्या कर अपनी इस आराधना से भगवान शंकर को प्रसन किया और शंकर के प्रकट होने पर नारायण ऋषि ने उनसे प्रार्थना कर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान माँगा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा भी बताया जाता है की महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त कर पांडव परिवार वालो की हत्या के पाप से मुक्ति पाने लिए भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे। लेकिन पांडवो से भगवान शंकर काफी क्रोधित थे पांडव शंकर भगवान के दर्शन के लिए काशी गए परंतु शंकर उन्हें नहीं मिले फिर पांडव शंकर भगवान को खोजते हुए हिमालय पर्वत पर जा पहुंचे उन्हें शंकर भगवान वहा पर भी नहीं मिले पांडवों से क्रोधित शंकर भगवान वहां से अंतध्र्यान हो कर केदार में जा बसे लेकिन पांडव भी अपनी हठ के पक्के थे वे उनका पीछा करते करते केदार पर्वत जा पहुंचे। और शंकर भगवान को ढूंडने लगे।

परन्तु बैल का रूप धारण कर शंकर भगवान अन्य पशुओं के झुंड में जा मिले। पांडवों को ऐसा संदेह हुआ कि भगवान शंकर इन पशुओ के झुण्ड में ही उपस्थित है तभी विशाल रूप धारण कर भीम ने अपने दोनों पैर दो पहाड़ों पर फैला दिए।

भीम के पैरो के बिच में से अन्य सभी गाय-बैल तो निकल गए परन्तु बैल के रूप में शंकर जी भीम के पैर के नीचे से नहीं निकले और वही पर रुक गए तभी भीम ने अपनी पूरी ताकत से बैल को पकड़ लिया लेकिन बैल भूमि के अंदर सामने लगा भीम ने अपने बल से बैल की पीठ को पकड़ लिया भीम की ताकत और उनकी श्रद्धा भक्ति देख भगवान शंकर ने पांडवों को दर्शन देकर उन्हें पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से बैल की पीठ की आकृति वाले पिंड के रूप में भगवान शंकर श्री केदारनाथ धाम में पूजे जाते हैं।

केदारनाथ में आपदा  (Kedarnath Dham Disaster in Hindi)

केदारनाथ में 16 जून 2103 की रात आयी उस आपदा ने वहा पुरे इलाके को तहस नहस कर दिया था इस आपदा को देख कर वहा के स्थानीय लोगो की रूह काँप गयी थी इस आपदा में करीब 6,000 से ज्यादा लोग मरे गए  थेऔर 5,000 से अधिक लोग लापता हो गए। वहा के कई ग्रामीणों की भूमि बाढ़ में पूरी तरह से श्रतिग्रस्त हो गई।

केदारनाथ में लगभग सभी भवन और होटल का नाम और निशान मिट गया था। देश और राज्य की मिलट्री सेना और पुलिस कर्मियों ने इस यात्रा मार्ग में फंसे करीब 1 लाख 20 हजार यात्रियों को हेलीकोपटर की सहायता से बहार निकाला था। यहां के कई नेशनल और स्टेट हाईवे, पुल, पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए।

इस आपदा से पहले केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग गौरीकुंड से रामबाड़ा की और होकर जाता था, लेकिन मंदाकिनी नदी की इस आपदा से रामबाड़ा का अस्तित्व ही मिट गया और यह रास्ता भी आपदा की भेंट चढ़ गया। 2014 से यात्रा का रास्ता बदल दिया गया। लेकिन 2017 में केदारनाथ का पुनः र्निर्माण कार्य किया गया और अक्टूबर 2018 तक इस कार्य को पूरा करा दिया गया।

केदारनाथ धाम के कपाट खुलने एवं बंद होने का समय (Kedarnath Dham doors opening and closing timings in Hindi)

उत्तराखंड के चार धामों में से एक केदारनाथ धाम की यात्रा हर वर्ष आयोजित की जाती है इसके अलावा तीनो धाम की यात्रा जैसे बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री धाम, और यमुनोत्री धाम की यात्रा भी आयोजित होती है केदारनाथ मदिर के खुलने की तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा तय की जाती है।

केदारनाथ धाम के कपाट प्रत्येक वर्ष अप्रैल-मई माह में खोले जाते है जिसकी उद्घाटन तिथि अक्षय तृतीया और महा शिवरात्रि के शुभ अवसर पर घोषित की जाती है। और यात्रा की समापन तिथि अक्टूबर-नवंबर माह में दिवाली के आसपास एक भव्य समापन समरोह के बाद मंदिर के कपाट को 6 माह के लिए बंद कर दिया जाता है इस बिच केदारनाथ के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु यहां पर आते है।

सर्दियों में बर्फ गिरने के कारन मंदिर को 6 माह के लिए पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाता है इस बिच भगवान् शिव की पूजा उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर में की जाती है ।

सर्दियों में बर्फ से ढके पहाड़ उत्तराखंड की चार धाम यात्राओं को बंद होने का संकेत देते है।

केदारनाथ में सुनामी कब आया था (When did Sunami hit Kedarnath Dham in Hindi)

केदारनाथ में 16 जून 2103 की रात आयी उस आपदा ने वहा पुरे इलाके को तहस नहस कर दिया था इस आपदा को देख कर वहा के स्थानीय लोगो की रूह काँप गयी थी। इस आपदा में करीब 6,000 से ज्यादा लोग मरे गए थे। और 5,000 से अधिक लोग लापता हो गए। वहा के कई ग्रामीणों की भूमि बाढ़ में पूरी तरह से श्रतिग्रस्त हो गई।

केदारनाथ में लगभग सभी भवन और होटल का नाम और निशान मिट गया था। देश और राज्य की मिलट्री सेना और पुलिस कर्मियों ने इस यात्रा मार्ग में फंसे करीब 1 लाख 20 हजार यात्रियों को हेलीकोपटर की सहायता से बहार निकाला था। यहां के कई नेशनल और स्टेट हाईवे, पुल, पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए।

इस आपदा से पहले केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग गौरीकुंड से रामबाड़ा की और होकर जाता था, लेकिन मंदाकिनी नदी की इस आपदा से रामबाड़ा का अस्तित्व ही मिट गया और यह रास्ता भी आपदा की भेंट चढ़ गया। 2014 से यात्रा का रास्ता बदल दिया गया। लेकिन 2017 में केदारनाथ का पुनः र्निर्माण कार्य किया गया और अक्टूबर 2018 तक इस कार्य को पूरा करा दिया गया।


केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय (Timings to visit Kedarnath Temple)

  • यात्रियों के दर्शन के लिए मन्दिर सुबह 6:00 बजे खुलता है।
  • दोपहर 3 से 5 बजे तक मंदिर में विशेष पूजा की जाती है
  • शाम 5 बजे यात्रियों के दर्शन हेतु मन्दिर पुनः खोला जाता है।
  • रात्रि में 7:30 बजे से 8:30 बजे तक पाँच मुख वाली शिव की प्रतिमा को श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है।
  • रात्रि में 8:30 बजे मन्दिर के कपाट को बन्द कर दिया जाता है।
  • 15 नवंबर को केदारनाथ मंदिर पूर्ण रूप से 6 महीनो के लिए बंद कर दिया जाता है और 14 अप्रैल के बाद मंदिर के कपाट को खोला जाता है। कियोंकि सर्दियों में केदारनाथ मंदिर पूरी तरह से बर्फ से ढक जाता है।
  • इस स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को विधिविधान के साथ ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं। और 6 महीने इस प्रतिमा की पूजा यहाँ पर की जाती है।

इस लेख के माध्यम से हमने आपको Kedarnath Dham History in Hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी है। 

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