1. सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास
महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर के प्रभादेवी में स्थिस्त सिद्धिविनायक मंदिर भगवान श्री गणेश को समर्पित है यह मंदिर भारत के सभी प्रमुख गणेश मंदिरो में से एक है दुनिया भर में काफी प्रचलित है ये मंदिर जिसकी वजह से देश-विदेश से हर धर्म के लोग श्री गणेश के दर्शन करने के लिए यहां पर आते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश की एक मूर्ति स्थापित है जिसके पीछे एक बहुत प्रचलित कहानी है। इस मंदिर को सिद्धिविनायक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस मंदिर में गणपति बप्पा की मूर्ति की सूड दाई ओर मुड़ी हुई हैं और सिद्धि पीठ से जुड़ी है। इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को भगवान श्री गणेश के ऊपर अटूट विश्वास होता है उनका ऐसा मानना है कि भगवान उनकी हर मनोकामना पूरी करेंगे। यह मंदिर मुंबई के सबसे धनी मंदिरों में से एक है, वैसे तो यहा पर प्रतिदिन भक्तो की भीड़ लगी रहती हैं। लेकिन मंगलवार के दिन यहां पर भक्तो की भीड़ बहुत भारी संख्या में लगती है ऐसा भी माना जाता है कि इस मंदिर में श्री गणेश भगवान की जो प्रतिमा है वो स्वयंभू है।

2. मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ
अगर हम इस मंदिर के निर्माण की बात करे तो बहुत पहले इस मंदिर की सरचना काफी छोटी की हुई थी और वो ईंटो से बनी हुई थी और इस मंदिर में गुम्बद आकार का एक शिखर बना हुआ था लेकिन बाद में सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 1801 सन में विट्ठु और देउबाई पाटिल ठेकेदार द्वारा कराया गया था इस बात को बहुत कम लोग जानते है की इस मंदिर के निर्माण में लगने वाली धनराशि एक कृषक महिला ने दी थी उस महिला की कोई संतान नहीं थी इसलिए उस महिला ने गणपति बप्पा मंदिर के निर्माण के लिए कुछ इच्छा जताई थी वह चाहती थी की मंदिर में गणपति भगवान का आशीर्वाद पाकर कोई भी महिला बाँझ न रहे सबको संतान की प्राप्ति हो|

3. सिद्धिविनायक में स्थित चर्तुभुर्जी विग्रह
इस मंदिर में भगवान श्री गणेश की जो मूर्ति है वो ढाई फीट चौड़ी है और काले रंग के पत्थरों के टुकड़ों से बनी हुई है। हम आपको बता दें कि मंदिर में गणपति बप्पा की सूंड दाईं ओर जुख़ी हुई है और उनकी चार भुजाएँ हैं जिसकी वजह से उन्हें ‘चतुर्भुज भी कहा जाता है। भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति के ऊपरी दाहिने हाथ में एक कमल, और ऊपरी बाएं हाथ में एक अंकुश यानि छोटी कुल्हाड़ी है और नीचे के दाहिने हाथ में एक मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक से भरा कटोरा है। भगवान गणपति के दोनों ओर ऋद्धि और सिद्धि उनकी दोनो पत्नियां मौजूद हैं जो की धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी भक्तो की मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक मानी जाती है। मस्तक पर भगवान शिव के समान एक तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार के स्थान पर लिपटा है। अगर आप भी सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन करने के लिए विचार बना रहे हैं तो इस लेख में अपने आपको पूरी जानकारी दी हुई है आप विस्तार से पढ़ सकते है|

4. मंदिर में गर्भगृह का क्या महत्व है
इस मंदिर में एक गर्भगृह भी हैं जो की इस तरह बनाया गया है कि सभी श्रद्धालु सभा से ही दर्शन कर सकते हैं. गर्भगृह 10 फुट चौड़ा है और 13 फुट ऊँचा हैं जिसमे श्री गणेश भगवान रहते हैं इसमें में तीन दरवाजे है और तीनो ही दरवाजो पर आकृतिया लगी हुई हैं. यहाँ पर भक्तो की काफी मात्रा में भीड़ होती है जिसमे 4-5 घंटे के बाद लाइन में लगकर ही नम्बर आता हैं|
5. सबसे पहले पूजे जाते हैं गणपति
भगवान श्री गणेश का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक शुभ कार्य से पूर्व इनका पूजन अनिवार्य है तभी तो बॉलिवुड के कई सितारे जैसे अमिताभ बच्चन, बाल ठाकरे, दीपिका पादुकोण, सचिन तेंदुलकर अक्सर यहां पर आते रहते हैं मंदिर के बराबर से एक संकरी गली जाती है जो की ‘फूल गली’ या ‘मोदक गली’ के नाम से भी जनि जाती है यहां पर बड़ी संख्या में पूजा सामग्री की दुकानें स्थित हैं|
6. सिद्ध-पीठ से कम नहीं है सिद्धिविनायक मंदिर का महत्व
अहमदनगर में स्थित सिद्ध टेक के गणपति भगवान् को भी सिद्धिविनायक के नाम से ही जाना जाता हैं जो की अष्टविनायकों में मने जाते है ऐसे आठ सिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल महाराष्ट्र में हैं, जिनकी गणना अष्टविनायक के रूप में की जाती हैं. लेकिन मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी किसी सिद्ध-पीठ से कम नही मन जाता है|
7. सिद्धिविनायक मंदिर की अमीर मंदिरों में होती है गिनती
सिद्धिविनायक मंदिर महाराष्ट्र राज्य का माने जाने वाला दूसरा सबसे अमीर मंदिर है इस मंदिर की वार्षिक आए लगभग 50 करोड़ रूपये है ऐसा बताय जाता है की मंदिर के 130 करोड़ रुपये बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट है. मंदिर अपने मशहूर फिल्मी भक्तों के कारण भी काफी प्रसिद्ध है यह मंदिर 15 से 20 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष अपनी ट्रस्ट चढ़ावे के रूप में पाता है|
8. कब जाएं सिद्धिविनायक मंदिर
इस मंदिर में श्रद्धालुओं की रोजाना ही बड़ी संख्या में भीड़ होती हैं लेकिन मंगलवार के दिन यहां पर श्रद्धालु बहुत अधिक मात्रा में पहुंचते हैं 3 से 4 घंटे लाइन में खड़े रहना होता है तब जाकर गणपति बप्पा के दर्शन होते है मंगलवार के दिन यहा पर अधिकतर काफी सेलेब्रिटीस आते है लेकिन उनकी यहा पर वीआईपी एंट्री होती है भाद्रपद चतुर्थी और अनंत चतुर्दशी वाले दिन यहां पर विशेष समारोह होता है|
9. कैसे पहुंचे सिद्धिविनायक मंदिर
अगर आप सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन करने के लिए फ्लाइट या ट्रैन से मुंबई आ रहे हैं तो मंदिर जाने के लिए आपको दादर से प्रभादेवी तक पहुंचना होगा जिसके लिए मुंबई शहर के किसी भी एरिया से बीईएसटी द्वारा संचालित बस मिल जायेंगी। आप चाहे तो मुंबई की लोकल ट्रेन से भी दादर जा सकते हो और दादर से प्रभादेवी तक के लिए आप कैब या ऑटो भी कर सकते है|
10. आरती का समय – मंगलवार
- दर्शन करने का समय – सुबह 3:15 से 4:45 तक
- सुबह की आरती – सुबह 5:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक
- दर्शन करने का समय – सुबह 5:30 से दोपहर 2:15 बजे
- कपाट बंद – दोपहर 12:15 बजे से 12:30 बजे तक
- दर्शन करने का समय – दोपहर 12:30 बजे से 8:45 बजे तक
- शाम की आरती -9:30 बजे से रात 10:00 बजे तक
- अंतिम आरती – 12:30 पूर्वाह्न
11. आरती का समय – बुधवार से सोमवार
- सुबह की आरती – सुबह 5:30 बजे से 6 बजे तक
- दर्शन करने का समय – सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक
- कपाट बंद – दोपहर 12:15 बजे से 12:30 बजे तक
- दर्शन करने का समय – दोपहर 12:30 बजे से शाम 7:20 बजे तक
- शाम की आरती – शाम 7:30 बजे से 8:00 बजे तक
- दर्शन करने का समय – रात्रि 8:00 बजे से 9:50 बजे तक
- अंतिम आरती – रात्रि 9:50 बजे