Somnath Temple History in Hindi: सोमनाथ का यह ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत में गुजरात के वेरावल शहर में पश्चिमी समुद्र तट पर पाटन में स्थित है। हिन्दुओं का यह चुनिंदा और प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस आर्टिकल में हम आपको भारत के 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक सोमनाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहे है। तो मंदिर के सारे  रहस्य जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (History of Somnath Jyotirlinga Temple in Hindi)

भारत के12 ज्योतिर्लिंगो में स्थापित सोमनाथ का यह सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग माना गया है। इन मंदिरो को ज्योतिर्लिंग इसलिए कहा जाता है कियुँकि भगवान शिव इन स्थानो पर स्वयं प्रकट हुए। इसीलिए यह स्थान ज्योतिर्लिंग कहलाते है।

हिन्दू धर्म के ऋग्वेद पुराण में ऐसा उल्लेख किया गया है की सोमनाथ मंदिर की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। चंद्रदेव की कठोर तपस्या देख भगवान शिव ने उन्हें इसी स्थान पर दर्शन दिए थे तब से चंद्रदेव को सोमनाथ देव भी कहा जाता है। चंद्रदेव के सोमनाथ नाम से ही “सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर” कहा गया।

पुराने इतिहासकारो में यह मंदिर उत्थान और पतन का प्रतीक माना गया है। प्राचीन समय की बात है जब मुस्लिम और पुर्तगालियों के द्वारा इस मंदिर पर कई बार हमला कर इसे पूरी तरह से नस्ट कर दिया गया। और फिर कई बार हिन्दू शासकों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण भी करवाया गया है।

सोमनाथ मंदिर का दूसरी बार निर्माण वल्लभी के सम्राटों ने 7वी शताब्दी में करवाया था। परन्तु 8वीं शताब्दी करीब 725 में सिंध के अरबी गर्वनर अल-जुनायद ने इस मंदिर पर हमला कर इसे ध्वस्त कर दिया था।

बाद में तीसरी बार सोमनाथ मंदिर को राजा प्रतिहार नागभट्ट ने लाल पत्थरों को सही तरह से इस्तमाल करके 815 वि में बनवाया था

1024 में महमूद गजनवी ने करीब 5 हजार सेनाओं के साथ इस मंदिर पर आक्रमण किया था। और मंदिर में से करोडो का खजाना  लूट लिया था। 

सोमनाथ मंदिर का चौथी बार र्निमाण 1093 ने मालवा के राजा भोज और सम्राट भीमदेव ने करवाया गया।

1168 में इस मंदिर के सौंदर्यीकरण पर विजयेश्वरे कुमारपाल और सौराष्ट्र के सम्राट खंगार कार्य करवाया था | इसके बाद भी फिर   1297 में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुरसत खां ने गुजरात पर अपना कब्ज़ा कर लिया था और मंदिर पर हमला कर उसे पूरी तरह से शिवलिंग को खंडित कर ध्वस्त कर दिया और जमकर लूटपाट की  थी।

सोमनाथ का यह मंदिर में पहले से ही लगातार उत्थान-पतन काफी प्रचलित रहा | 1395 में इस मदिर में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फरशाह ने लूटपाट की और फिर 1413 में तबाही मचाई।

फिर औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान इस मंदिर में दो बार हमला किया था । पहला हमला 1665 में किया और दूसरा हमला 1706 में किया था । 

जब भारत में मराठों ने अधिकांश हिस्सों पर अपना कब्ज़ा कर लिया फिर 1783 में इंदौर की मराठा रानी अहिल्याबाई ने सोमनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर सोमनाथ महादेव जी का एक मंदिर का निर्माण करवाया था।

भारत की आजादी के बाद इस मंदिर के भवन का पुनः निर्माण पूर्व गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था। और 1951 में देश के पहले राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर में ज्योर्तिलिंग को स्थापित किया था। 1962 में यह मंदिर पूर्ण रुप से बनकर तैयार हुआ था।

फिर भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने 01 दिसंबर 1995 को इसे राष्ट्र की आम जनता को समर्पित कर दिया था। जो की अब एक विश्व का प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है।

मंदिर के प्रांगण में प्रतिदिन रात 07:30 से 08:30 बजे तक एक साउंड लाइट शो चलता है जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बहुत ही सुंदर तरीके से वर्णन किया जाता है। पुराणों के अनुसार ऐसा भी कहा गया है इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। जिस कारन क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया।

सोमनाथ मंदिर की पौराणिक कथाये एवं किवदंतिया (Mythological Stories of Somnath temple in Hindi)

हिन्दू धर्म के ऋग्वेद पुराण के मुताबिक सोमनाथ मंदिर की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी | इस मंदिर के पीछे एक बेहद प्राचीन धार्मिक कथा जुड़ी हुई है | पौराणिक कथा के अनुसार चन्द्रदेव यानि सोमनाथ देव ने राजा दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों से शादी की थी। जिसमे से एक सबसे ज्यादा खूबसूरत पत्नी रोहिणी थी | जिसे चंद्रदेव सबसे ज्यादा प्रेम करते थे | इस बात से बाकि 26 पत्नियों को नाराजगी हुई और उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष को यह बात बताई। 

परन्तु चद्रदेव पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अपनी 26 पुत्रियों को दुखी देख राजा दक्ष ने चन्द्रदेव को ‘क्षयग्रस्त’ हो जाने का श्राप  दे दिया और कहा कि उनकी चमक और तेज धीरे धीरे ख़त्म हो जायेगी। राजा दक्ष के इस श्राप से चंद्रदेव काफी दुखी रहने लगे और फिर शिवलिंग स्थापित कर भगवान शिव की कठोर तपस्या करनी शुरू करदी ।

चन्द्रदेव की इस कठोर तपस्या को देख भगवान शिव उनसे प्रसन्न हो गए और चन्द्रदेव को अमरत्व का वरदान दिया साथ ही साथ  राजा दक्ष के श्राप से मुक्त कर कहा कि, कृष्णपक्ष में तुम्हारी चमक कम होगी, जबकि शुक्ल पक्ष में तुम्हारी चमक बढ़ेगी।

आज भी ऐसा देखा जाता है की चन्द्रमा की 15 दिन चमक कम और 15 दिन चमक बढ़ी हुई दिखाई देती है और पूर्णिमा को चन्द्रमा पूरा दिखाई देता है। राजा दक्ष के श्राप से मुक्त होकर चन्द्रदेव ने भगवान शिव से हाथ जोड़करआराधना की। हे पभु आप माता पार्वती के साथ गुजरात के इस स्थान पर निवास करे |  चन्द्रदेव की इस आराधना को देख भगवान शिव ने स्वीकार किया ज्योतर्लिंग के रुप में माता पार्वती के साथ यहां पर विराजमान हो गये।

जिसके बाद वेरावल बंदरगाह में चन्द्रदेव ने भगवान शिव के इस भव्य सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। जिसकी महिमा पुरे विश्व में प्रशिद्ध है। हिन्दू धर्म के कई प्रशिद्ध पुराणों में सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग का उल्लेख किया गया है जैसे ऋग्वेदपुराण, शिवपुराण, महाकाव्य  श्रीमद्धभागवत, महाभारत और स्कंदपुराण आदि।

इसीलिए चंद्रदेव को सोमनाथ भी कहा जाता है अतः चंद्रदेव के इस नाम से ही मंदिर को सोमनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

सोमनाथ मंदिर की ऐसी मान्यता है की जो भी भक्त इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने हेतु यहां पर आते है। उनकी मनोकामनाएं, क्षय,कोढ़ रोग ठीक हो जाते हैं।

मंदिर परिसर में भगवान श्रीकृष्ण का एक बेहद खूबसूरत मंदिर भी है पुराणों के अनुसार इसी पावन स्थान पर एक बार भगवान श्रीकृष्ण विश्राम कर रहे थे। तभी एक शिकारी ने धोके से हिरण समझकर उनेक पैर के तलवे में वाण चलाकर शिकार कर दिया |बताया जाता है की भगवान श्री कृष्ण यहीं अपना देह त्यागकर बैकुंठ चले गए थे।

सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला और शाही बनावट (Somnath Temple Architecture and Design in Hindi)

सोमनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण वर्तमान में  हिन्दू वास्तुकला के अनुसार चालुक्य शैली में किया गया है। जो की एक आकर्षण केंद्र हैं मंदिर के में कुछ खंभे भी बने हुए हैं जिन्हे बाणस्तंभ के नाम से भी जाना जाता है खंभे के ऊपर एक तीर भी है।

सोमनाथ ज्योर्तिलिंग तीन हिस्सों में बंटा हुआ है मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नृत्यमंडप और सभामंडप शामिल हैं। जिसका शिखर 150 फीट ऊँचा है।

10 km के क्षेत्रफल में फैला यह मंदिर जिसमें कुल 42 मंदिर है। इस मंदिर में शिव परिवार सहित माँ लक्ष्मी, गंगा, और सरस्वती की मूर्तियां भी विराजित हैं।

सोमनाथ मंदिर में कैसे पहुंचे (How to reach Somnath Temple in Hindi)

हवाई अड्डा (By Air) – सोमनाथ मंदिर से 55 km दुरी पर केशोड एयरपोर्ट है।

रेल मार्ग (By Train) – सोमनाथ मंदिर के सबसे पास वेरावल रेलवे स्टेशन है वहा से सोमनाथ मंदिर कुल 7km की दुरी पर है। 

सड़क मार्ग (By Road) – गुजरात के किस भी बस स्टैंड से सोमनाथ मंदिर के लिए आपको बस या टैक्सी मिल जाएगी, अहमदाबाद से 400 km, भावनगर से 266 km दुरी पर है।

हम उम्मीद करते है की आपको Somnath Temple History in Hindi के बारे पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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