Bhimashankar Jyotirlinga Story : भीमाशंकर मंदिर भारत में महाराष्ट्र के पूना शहर से लगभग 110 km दूर पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है | मंदिर के पास से ही भीमा नदी बहती है जो की आगे जाकर कृष्णा नदी में मिल जाती  है | हिन्दुओं का यह प्राचीन एवं प्रमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित है | जिसमे शिव की पूजा आराधना भीमाशंकर के रूप में की जाती है |

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (Bhimashankar Jyotirlinga Temple History in Hindi)

“भीमाशंकर” का अर्थ  “भीम” और “शंकर भगवान” से है | भगवान शंकर ने इसी थान पर राक्षश कुंभकरण के पुत्र भीम को भस्म कर उसे राख करदिया था | और देवताओं के कहने पर हमेशा के लिए यहा ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गये | जो भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहलाये | समुद्र तल से 3250 फुट की उचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग बहुत मोटा है। इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो में स्थापित भीमाशंकर का यह छठा ज्योतिर्लिंग माना गया है | इन मंदिरो को ज्योतिर्लिंग इसलिए कहा जाता है कियुँकि भगवान शिव इन स्थानो पर स्वयं प्रकट हुए थे | इसीलिए यह स्थान ज्योतिर्लिंग कहलाते है |

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की पौराणिक कथा (Bhimashankar Jyotirlinga Story in Hindi)

हिन्दू धर्म की शिव पुराण में इस मंदिर का उल्लेख किया हुआ है की प्राचीनकाल में एक भीम नाम का राक्षश था | जो की रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र था | जिसका जन्म कुंभकर्ण की मृ्त्यु के बाद हुआ था | जब उसे अपनी माता से पता चला की उसके  पिता को भगवान श्री राम ने मृत्यु के घाट उतार दिया था | इस सुचना को सुनकर भीम बहुत क्रोधित हुआ | और श्री राम का वध करने के लिए उसने ब्रह्मा जी की एक हजार साल तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे विजयी होने का वरदान दे दिया। वरदान पाते ही उसने मनुष्यों के साथ साथ देवी-देवतायो पर भी अत्याचार करना शुरू कर दिया | और देवताओं के सभी तरह के पूजा पाठ बंद कर उसने उन्हें  में यूद्ध में भी परास्त कर दिया |

राक्षस तानाशाह भीम से परेशांन होकर सभी देवगन भगवान शिव की शरण में गए। और कहा की प्रभु हमारी रक्षा करो हमे उस दानव से बचायो | तब भगवान शिव ने उस स्थान पर जाकर उस दुष्ट राक्षस को भस्म कर दिया | तभी भगवान शिव से सभी देवगणो ने आग्रह किया कि इस स्थान को पवित्र बनाने के लिए वे इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजमान हो जाये । भगवान शिव आज भी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजमान हैं |

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की संरचना (Bhimashankar Jyotirlinga temple Architecture in Hindi)

कहते है की 18वीं सदी में भीमाशंकर मंदिर के शिखर को नाना फड़नवीस द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर की पूजा के लिए मराठाो के शासक शिवाजी ने कई तरह की सुविधाएं भी प्रदान की थी | यहां पर बना एक बड़ा घंटा जो की भीमशंकर की एक विशेषता को बढ़ाता है।

मंदिर के पास में ही हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी, नागफनी, बॉम्बे प्वाइंट, है जहा पर आप जाकर दौरा कर सकते है। मंदिर के पास में ही कमलजा मंदिर है जिसमे माता कमलजा देवी के रूप में विराजमान है | यहां दुनिया भर से यात्री इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं | सावन महा में यह भक्तो की सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है |

भीमाशंकर मंदिर में कैसे पहुंचें (How to reach Bhimashankar Temple in Hindi)

हवाई अड्डा – पुणे इंटरनेशनल ऐरपोट से मंदिर की दुरी 106 km है | जो की वहा से बस द्वारा तय करनी होगी |

सड़क मार्ग – भीमाशंकर मंदिर में आप सड़क और रेल मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। पुणे से राज्य परिवहन की बस की सेवाएं मंदिर तक जाती है जिसमे लगभग 4-5 घंटे का समय लग जाता है जो की 160 km दुरी पर है | 

रेल मार्ग – पुणे रेलवे स्टेशन से आपको नेराल स्टेशन जाना होगा वहा से 39 km दूर बस से ही मंदिर पहुंचना होगा |

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Bhimashankar Jyotirlinga Story के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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