गर्जिया देवी मन्दिर इतिहास, पौराणिक कथा, मान्यता, रहस्य (Garjiya Devi Temple History in Hindi )

देवी देवताओं की नगरी कहे जाने वाले उत्तराखंड में ऐसे अनेक धार्मिक और पर्यटक स्थल है. जिसकी वजह से दूर दूर से लोग यहा पर घूमने के लिए आते है. इस आर्टिकल में हम आपको गर्जिया देवी मन्दिर के बारे में बताने जा रहे है जिसकी पौराणिक कथाये और रहस्य एक दम चौकाने वाला है।

गर्जिया देवी मन्दिर का इतिहास (Garjiya Devi Temple History in Hindi)

गर्जिया देवी मन्दिर उत्तराखंड राज्य में रामनगर से 15 km दूर सुंदरखाल गांव में स्थित है। जिसे गिरिजा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह प्राचीन मंदिर कोसी नदी के किनारे एक छोटी सी पहाड़ी के टीले पर बना हुआ है. जो माता पार्वती के स्वरूप गर्जिया देवी को समर्पित है।

गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें “गिरिजा” नाम से पुकारा जाता है। इस मंदिर को माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक कहा जाता है।

पुराने इतिहासकारों के अनुसार जहां पर वर्तमान में रामनगर बसा हुआ है पहले कभी वहा कोसी नदी के “वैराट नगर” यहा “वैराट पत्तन” बसा हुआ था, पहले यहां पर कुरु राजवंश के राजा राज करते थे तथा बाद में कत्यूरी राजा ने राज किया जो इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली ) के साम्राज्य में रहते थे।

कत्यूरी राजवंश के बाद गर्जिया की इस पवित्र भूमि पर चन्द्र राजवंश, गोरखा वंश और अंग्रेज़ शासकों ने राज किया है। 1940 से पहले गर्जिया नामक का यह क्षेत्र भयंकर जंगलों से भरा पड़ा था। ऐसा बताते है की 1940 से पहले इस मन्दिर की स्थिति आज जैसी नहीं थी तब इस देवी को उपटा देवी के नाम से जाना जाता था।

Garjiya Devi Temple History in Hindi | गर्जिया देवी मन्दिर का चौकाने वाला रहस्य

गर्जिया देवी मन्दिर का चौकाने वाला रहस्य एवं मान्यता (Mystery of Garjiya Devi Temple in Hindi)

1940  में कोसी नदी की बाढ़ में बहकर आया था माँ गर्जिया देवी का यह मंदिर जो एक छोटी सी पहाड़ी के टीले पर स्थित था यह पूरी पहाड़ी ही बाढ़ में बहकर आयी थी।

मंदिर को टीले के साथ बहता देख भैरव देव ने रोकने का प्रयास किया और बोले की  ‘ठहरो, बहन ठहरो’ अब तुम मेरे साथ यहां पर निवास करना | तब उन्हें उपटा देवी कहा जाता था।

दूसरी और ऐसा भी बताया जाता है पहले प्रतिदिन रात में इस टीले के पास मां दुर्गा का वाहन शेर अपने भयंकर रूप में दहाड़ा करता था यानि गर्जना किया करता था।

उस दौरान स्थानीय लोगो ने भी शेर को कई बार इस टीले के चारो और परिक्रमा करते हुए देखा था, तभी से माँ गिरजा का यह शक्तिस्थल दूर-दूर तक प्रचलित हो गया था।

हिन्दुओं के विशेष पर्व जैसे कार्तिक पूर्णिमा,गंगा दशहरा, नव दुर्गा, शिवरात्रि, और गंगा स्नान के समय यहां पर श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ उमड़ती है | ऐसा बताया जाता है की गिरिजा देवी की पूजा से पहले बाबा भैरव को चावल और उड़द की दाल का प्रशाद चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है भैरव की पूजा के बाद ही माँ गिरिजा की पूजा सम्पूर्ण मानी जाती है।

यह भी पढ़े – नैना देवी मंदिर नैनीताल जो देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है

गर्जिया देवी मन्दिर की पौराणिक कथा (Garjiya Devi Temple Stroy in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार कोसी नदी की भयंकर बाढ़ में एक छोटी सी पहाड़ी बहकर आ रही थी जिसके के टीले पर स्थित माँ गर्जिया देवी प्रतिमा भी थी, टीले पर माँ की प्रतिमा साथ बहता देख भैरव देव ने रोकने का प्रयास किया और बोले की  ‘ठहरो, बहन ठहरो’ अब तुम मेरे साथ यहां पर निवास करना | तब उन्हें उपटा देवी के नाम से जाना जाता था।

गर्जिया देवी मन्दिर में माँ गिरिजा देवी सतोगुणी रूप में विद्यमान हैं, जो भक्तो की सच्ची श्रद्धा और आस्था से जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। माता के भक्त इस मंदिर में प्रसाद के रूप में नारियल, लाल चुनरी, सिन्दूर, और धुप दिप चढ़ाकर अपनी मनोकामना मांगते है. मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु माता को घण्टी, छत्र आदि चढ़ाते हैं।

गर्जिया मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में माता की 4.5 फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित हैँ साथ में माता सरस्वती, गणेश और भैरव की संगमरमर की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। मंदिर परिसर में एक अन्य मंदिर लक्ष्मी नारायण का भी स्थापित है। जिसमे स्थापित प्रतिमा यहीं पर हुई खुदाई के दौरान मिली थी।

मंदिर टीले के नीचे बहती कोसी नदी की यह प्रबल धारा कभी कभी इसका बहाव ऊपर तक आ जाता है | आज भी इस मंदिर में जंगली जानवरों की भयंकर गर्जना की आवाज आ जाती है  है उसके बावजूद भी यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

स्थानीय लोगो द्वारा बताया गया है की 1956 में आयी कोसी नदी की भयंकर बाढ़ में मंदिर की सभी मूर्तियां बह गयी या (खंडित हो गयी) थीं, तब पण्डित पूर्णचन्द्र पाण्डे ने मंदिर में प्रतिमा की फिर से इसकी स्थापना की थी, 1970 में मंदिर का निर्माण पूर्ण और व्यवस्थित तरीके किया गया था।

गर्जिया देवी मन्दिर में कैसे पहुंचे (How to reach Garjiya Devi Temple in Hindi)

गर्जिया देवी मन्दिर में पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले “रामनगर” आना होगा जो की रेल और बस दोनों  माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रामनगर से आप रानीखेत जाने वाली बस पकड़ सकते है या फिर टैक्सी ले सकते हैं। रामनगर से 15 km दूर रानीखेत मार्ग पर स्थित है माँ गर्जिया देवी मन्दिर मंदिर।

गर्जिया देवी मन्दिर से 7-8 km की दूरी पर ही “Jim Corbett National Park” है जहा पर आप जाकर घूम सकते है।

हम उम्मीद करते है की आपको Garjiya Devi Temple History in Hindi के बारे पढ़कर अच्छा लगा होगा।

धार्मिक और पर्यटक स्थलो की और अधिक जानकारी के लिए आप हमारे You Tube Channel PUBLIC GUIDE TIPS को जरुर Subscribe करे। और हमारे Facebook Page “PUBLIC GUIDE TIPS” को “LIKE” और “SHARE” जरुर करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *