Lakshman Jhula Rishikesh: ऋषिकेश में घूमने आये प्रयटक यहां पर जरूर आते है। और इस पूल से माँ गंगा के सूंदर दृश्ये का अधभुध नजारा देखते है। गंगा नदी के दोनों तरफ कई हिन्दू धार्मिक आश्रम स्थापित है। पुराने इतिहासकारो के अनुसार ऐसा बताया जाता है। उत्तराखंड राज्य के ऋषिकेश में गंगा नदी पर बना लक्ष्मण झूला 90 साल पुराना है। 

लक्ष्मण झूले का इतिहास (Lakshman Jhula History in Hindi)

इस पुल का निर्माण 1923 में ब्रिटिश सरकार द्वारा करवाया गया था। लेकिन बाढ़ के कारन तेज पानी के बहाव से यह पुल 1924 में ही बह गया था। जिसके बाद 1927 में इस पुल का पुनःनिर्माण कराया गया था। लगभग 3 साल के कार्य चलने के बाद 11 अप्रैल 1930 में यह पुल बनकर तैयार हुआ था।

450 फुट लम्बा यह पुल गंगा नदी के ऊपर झूलता है। जो गोमुख से निकलकर पर्वतो के बिच से बहती हुई ऋषिकेश के समुद्र तल यानि धरती को स्पर्श करती है। शुरू में इस पुल या झूले को झूट की रसियो से कसकर बनाया गया था। लेकिन बाद इसे लोहे की मजबूत तारो से जकड़ा गया था।

ऋषिकेश में घूमने आये प्रयटक यहां पर जरूर आते है। और इस पूल से माँ गंगा के सूंदर दृश्ये का अधभुध नजारा देखते है। लेकिन अब यह पूल प्रयटकों के लिए बंद कर दिया गया है। अधिक भीड़ और समय ज्यादा होने कारन इस पूल की नीव अब कमजोर हो चुकी है। इसीलिए लक्ष्मण झूला को प्रयटकों के लिए बंद किया हुआ है।

इस पुल के एक तरफ भगवान श्री लक्ष्मण का मंदिर और दूसरी तरफ भगवान श्री राम का मंदिर है। ऐसा कहा जाता है की भगवान  श्रीराम यहां पर स्वयं पधारे थे। पुल का संपर्क एक और बदरीनाथ के रस्ते की तरफ और दूसरी और स्वर्गाश्रम की तरफ जाता है।

आखिर क्यों कहते है इसे लक्ष्मण झूला(Lakshman Jhula Story in Hindi)

हिन्दू ग्रन्थ के पुराण के अनुसार रामायण के मुख्य पात्र भगवान श्री रामचंद्र के छोटे भाई श्री लक्ष्मण ने इसी स्थान पर गंगा नदी को पार करने के लिए जुट की रसियो का इस्तेमाल किया था। इसीलिए यह पल लक्ष्मण झूले के नाम से जाना जाता है। सबसे पहले इस पूल को 1889 में स्वामी विशुदानंद के कहने पर कलकत्ता के सेठ सूरजमल ने बनवाया था। 1924 में बना यह पूल तेज बाढ़ में बह गया था। बाद में 1930 में यह पुल दोबारा बनकर तैयार हुआ था।

आखिर में क्यों बंद हुआ लक्ष्मण झूला

90 साल के बने इस पुराने पूल की नीव काफी कमजोर हो चुकी है। जिसके चलते 12 जुलाई 2019 को  उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इस पूल को प्रयटक के आने जाने के लिए बंद करा दिया गया है। काफी पुराणा होने के कारन इस पूल में अब ज्यादा भार सहने की शमता नहीं है। कियुँकि पूल के ज्यादातर हिस्से काफी कमजोर हो चुके है। जो कभी भी गिर कर गंगा नदी में समां सकता है।

इस पूल पर हमेशा से ही पर्यटकों की आने जाने की संख्या बहुत अधिक रही है। जिसकी वजह से यह पूल एक तरफ से काफी झुक गया है। पर्यटकों के साथ किसी भी तरह की अनहोनी न हो उसके चलते इस पूल को बंद किया गया। लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है। इस पूल के पास में ही एक नया पूल का निर्माण जल्द ही शुरू किया जायेगा जिसको लक्ष्मण झूला के नाम से ही जाना जायेगा।

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राम झूला (Ram Jhula in Hindi)

लक्ष्मण झूला को देख पास में ही एक राम झूला पूल भी बनाया गया था। जिसका इतिहास ज़्यदा पुराना नहीं बताया जाता कहते है की 750 फुट लम्बे इस पूल को 1983 में बनाया गया था। जो की पर्यटकों के आने जाने के लिए खुला हुआ है।

लक्ष्मण झूला कैसे पहुंचे (How to reach Lakshman Jhula Rishikesh in Hindi)

लक्ष्मण झूला आने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश आना होगा, जो अद्भुत आकर्षणों से भरा एक शहर है। आप ऋषिकेश की यात्रा वायु, सड़क या ट्रैन के माध्यम द्वारा कर सकते हैं।

सड़क माध्यम (By Road) – ऋषिकेश हरिद्वार और देहरादून सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. दिल्ली से लगभग 262 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश आने के लिए रोड ट्रांसपोर्ट रोड कारपोरेशन व निजी बसें चलती हैं।
ट्रेन माध्यम (By Train) – ऋषिकेश में एक रेलवे स्टेशन है जो सीधे हरिद्वार और देहरादून से जुड़ा हुआ है।
वायु माध्यम (By Air) – जोलीग्रांट हवाई अड्डा ऋषिकेश से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ पहुँचने के बाद आप टैक्सी या बस सेवा का उपयोग कर सकते हैं. जिसमे लगभग 30 मिनट का समय लग सकता है।
निजी वाहन (personal Vehicle) – आप ऋषिकेश अपनी खूद की गाड़ी से भी जा सकते हैं।

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Lakshman Jhula Rishikesh के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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