माया देवी मंदिर का इतिहास – History of Maya Devi Temple
माया देवी का यह मंदिर उत्तराखंड राज्य की पवित्र धार्मिक नगरी हरिद्वार शहर में स्थित है | जिसकी गणना भारत के 52 शक्तिपीठों में और पंचतीर्थ स्थलों में की जाती है माता सती के स्वरूप में देवी माया को समर्पित हरिद्वार का यह मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक केद्र है | 11वीं शताब्दी से उपलब्ध इस मंदिर की गणना सिद्ध पीठ के रूप में की जाती है | ऐसा माना जाता है की माया देवी के इस सिद्धपीठ मंदिर में सभी भक्तो की मनोकामना पूरी होती है |

हरिद्वार में स्थापित तीन सिद्ध पीठ मंदिर है जिसमे से एक माया देवी देवी को समर्पित है | दूसरा मनसा देवी को समर्पित है | और तीसरा माँ चंडी देवी को समर्पित है | किसी विशेष उत्सव जैसे नवरात्र और हरिद्वार के कुम्भ मेले के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ लगती है |
माया देवी मंदिर की महिमा – Glory of Maya Devi Temple
हरिद्वार की पवित्र नगरी में स्थित माया देवी का उल्लेख पौराणिक कथाओं में दिया गया है। इस मंदिर की मान्यता है की जो भी श्रद्धालु अपने सच्चे मन और श्रद्धा साथ यहां पर धागा या चुनरी बांधकर अपनी मनोकामना मांगते है तो माया देवी उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं। श्रद्धालुयो की मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु यहां पर दोबारा आते है और मां को नारियल चुनरी का प्रशाद चढ़ाकर और धागा खोलकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। इस मंदिर में देवी की तीन मुर्तिया स्थापित है बिच में चार भुजा और एक मुंह वाली मूर्ति माया देवी की है। बायीं तरफ काली देवी और दायी तरफ कामाख्या देवी की मूर्ति है। माया देवी मंदिर हरिद्वार के तीन शक्ति पीठ में से एक है |
माया देवी मंदिर की पौराणिक कथा – Legend of Maya Devi Temple
हिंदू धर्म ग्रन्थ के पुराणों के अनुसार माता सती दक्ष प्रजापति की पुत्री थी जिनका का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था | एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने निवास स्थान कनखल हरिद्वार में महायज्ञ का आयोजन कराया और इस महायज्ञ में दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को छोड़कर बाकि सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया |अपने पिता द्वारा पति का यह अपमान देख माता सती ने उसी यज्ञ में अपने प्राणो की आहुति देदी थी |

भगवान शिव बहुत दुखी होते हुए वहा पर पहुंचे और सती के मृत शरीर उठाकर पुरे भ्रमांड के चक्कर लगाने लगे | जिस कारन से सती के जले हुए शरीर के हिस्से पृत्वी के अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे । जहा-जहा पर सती के शरीर के भाग गिरे थे वे सभी स्थान “शक्तिपीठ” बन गए । जहा पर आज माया देवी का मंदिर है इस स्थान पर सती की नाभि एवं ह्रदय गिरे थे | इसीलिए इस मंदिर की गणना 52 शक्ति पीठ या सिद्ध पीठ में की जाती है | सभी देसी विदेशी भक्त और पर्यटक हरिद्वार में आकर माँ गंगा नदी में स्नान करते है और माया देवी, मनसा देवी, चंडी देवी मंदिर के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है |