गेटवे ऑफ़ इंडिया का इतिहास
भारत के प्रमुख नगर मुंबई के दक्षिण समुद्री तट पर स्थित गेटवे ऑफ़ इंडिया वर्ष 1924 में निर्मित अर्थात 20 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया एक ऐतिहासिक स्मारक है। यह जगह दुनिया भर से घूमने आये पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई का ताजमहल भी कहा जाता है। स्मारक के निर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा लगभग 21 लाख रूपये की धनराशि नगद प्रदान की गयी थी और अगर हम आज के समय की बात करे तो यह जगह कई फोटोग्राफरों, विक्रेताओं और खाद्य विक्रेताओं को व्यवसाय भी प्रदान करती है ये जगह हमेशा से ही पर्यटकों की भीड़ से भरी रहती है देश के प्रमुख बंदरगाहों के लिए यह स्मारक एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है।
गेटवे ऑफ इंडिया की डिजाइन और वास्तुकला
गेटवे ऑफ़ इंडिया की पहली नीव 31 मार्च 1911 में रखी गयी थी यह स्मारक 26 मीटर अर्थात 85 फुट उची है स्मारक का डिज़ाइन जॉर्ज विटेट ने बनाया था जो की एक बहुत अच्छे स्कार्टिश वास्तुकार थे जिसका निर्माण 1924 में पूरा हुआ था इस स्मारक का डिज़ाइन हिन्दू और मुस्लिम दोनों शैली पर आधारित है बड़ा गेट मुस्लिम शैली का जबकि सजावट हिन्दू शैली की है इस स्मारक को पिले बेसाल्ट और कंक्रीट से बनाया गया था स्मारक में लगे पत्थर स्थानीय ही थे यहा की छिद्रित स्क्रीन को ग्वालियर से मंगवाया गया था।
स्मारक का प्रवेश द्वार अपोलो बन्दर की नोक से मुम्बई हार्बर की ओर जाता है। इसका केंद्रीय गुंबद का व्यास 48 फुट उचा है मेहराब के प्रत्येक तरफ 600 लोगों की क्षमता वाले बड़े हॉल बने हैं गेटवे ऑफ़ इंडिया को इंग्लैंड के राजा किंग जॉर्ज और क्वीन मैरी की पहली मुंबई यात्रा के उपलक्ष में बनवाया गया था

गेटवे ऑफ इंडिया के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते
ऐसा बताया जाता है की भारत को आजादी मिलने के बाद ब्रिटिश की अंतिम सेना गेटवे ऑफ इंडिया के द्वार से होकर ही वापस गई थी। एक तरह से यह स्मारक अरब सागर से होकर आने वाले जहाजों के लिए भारत का द्वार कहलाता है।

गेटवे ऑफ इंडिया के ऊपर चार बुर्ज बने हुए हैं जिनको जाली का उपयोग करके बनाया गया था।
यह स्मारक मुंबई शहर की भव्यता को परिभाषित करता है जो की एक ऐतिहासिक और आधुनिक सांस्कृतिक वातावरण को प्रमाणित करता है।
26 जनवरी 1961 में भारत के गणतंत्र दिवस पर गेटवे ऑफ इंडिया के सामने मराठी राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगायी गयी थी जिसको मराठाओं के गर्व और साहस का प्रतीक माना जाता है।
वायसराय अर्ल ऑफ रीडिंग ने इस स्मारक का उद्घाटन 4 दिसंबर, 1924 को किया था और उसी दिन से इस स्मारक को लोगों के लिए खोला गया था।
गेटवे ऑफ इंडिया घूमने का सबसे अच्छा समय
वैसे तो आप यहां पर घूमने के लिए कभी भी आ सकते हैं। लेकिन अगर आप नवंबर से लेकर मार्च के बीच में आते है तो आपको यहां के वातावरण का अनुभव करना काफी अच्छा लगेगा कियोंकि इस समय मुंबई का मौसम अधिक सुहावना रहता है।

गेटवे ऑफ इंडिया घूमने के लिए प्रतिदिन खुला रहता है। यहां पर कोई टिकट या शुल्क नहीं लगता है। गेटवे ऑफ इंडिया सुबह 7 बजे से लेकर शाम को 6 बजे खुला रहता है आमतौर पर इस जगह लोग काफी फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी करते है यह जगह घूमने और अपने इतिहास के कारण प्रसिद्ध है।

गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास घूमने के लिए आकर्षित जगह
एलिफेंटा गुफा – दोस्तों अगर आप गेटवे ऑफ़ इंडिया घूमने जाते है तो आप एलिफेंटा गुफा भी जरूर जाये गेटवे ऑफ इंडिया से समुद्र के रस्ते मोटर बोट से जाया जाता है। जिसका टिकट 200 रूपये प्रति व्यक्ति का होता है। इसके अलावा आप ताज महल होटल देख सकते है जो भारत के सबसे शानदार होटलो में से एक है और गेटवे ऑफ इंडिया के बिलकुल सामने है।
कोलाबा कॉजवे मार्केट – यह बाजार सड़क पर खरीदारी का आनंद लेने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। यहां से आप बहुत कम दरों पर कपड़े खरीद सकते हैं। वैसे तो यहां पर ब्रिटिश के समय से काफी ऐसी फैशनेबल बुटीक इमारतें हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
वाल्केश्वर मंदिर – एक महत्वपूर्ण हिंदू कहानी से जुड़ा है वाल्केश्वर का यह मंदिर पौराणिक कथायो के अनुसार भगवान श्री राम ने इस मंदिर में पूजा की थी वैज्ञानिकों का ऐसा मनना है की यह मंदिर 3000 वर्ष से अधिक पुराना है।
नेहरू विज्ञान केंद्र – अगर आप विज्ञान की जानकारी बारे में जानना चाहते है तो यह जगह आपको जरूर पसंद आएगी।क्योंकि यहां पर कुछ कला कार्यक्रमों, विज्ञान प्रदर्शनियों और कुछ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की घटनाओं को दर्शाया गया है
गेटवे ऑफ इंडिया तक कैसे पहुंचे
भारत की फिल्म नगरी मुंबई शहर कई माध्यमों से जुड़ा हुआ है। इसलिए यहां पर पहुंचना ज्यादा मुश्किल नहीं है
मुंबई हवाई अड्डा – मुंबई में तीन हवाई अड्डे है पहला अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दूसरा छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा और तीसरा सांता क्रूज घरेलू हवाई अड्डा। आप जैसे चाहे अपनी सुविधा के अनुसार यहां पर आ सकते हैं और वहां से आप गेटवे ऑफ इंडिया के लिए एक टैक्सी ले सकते हैं।
मुंबई के सेंट्रल स्टेशन से आप सीधे चर्चगेट सटशन पर आ सकते है और टैक्सी से गेटवे ऑफ इंडिया जा सकते हैं।
मुंबई शहर काफी सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से जुड़ा हुआ है। यहां पर काफी राज्यों की बसें मुंबई सेंट्रल बस स्टेशन पर आती हैं। मुंबई में पुणे और नासिक से बसों से आने की सुविधा है। फिर यहां से टैक्सी लेकर सीधे गेटवे ऑफ इंडिया आ सकते हैं।