Chandrayaan-3 Live Update :- Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) ने जब से चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) कि है। तब से लेकर अब तक चांद की दुनिया के भयानक खुलासे कर रहा है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद Chandrayaan-3 ने भेजी चांद की पहली वीडियो और तस्वीरें दिखा चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) का ऐसा खौफनाक भयानक मंजर की अगले 14 दिनों तक चांद पर घूमते हुए Chandrayaan-3 करने वाला है बड़ा कमाल । इसरो (ISRO) का यह मेघा प्लान देख कर दुनिया भर की स्पेस एजेंसीया भी हैरान हो गई है। चांद की कक्षा में पहुंचने से लेकर आज तक इसरो के चंद्रयान-3 Chandrayaan-3 ने हर रोज लगभग नहीं तस्वीरें और वीडियो भेजी है और क्या आप जानते हैं। कि जिस दिन रूस का लूना 25 (Luna-25) क्रेश हुआ था तो उस दिन भी लूना25 के स्थित की दुर्लभ तस्वीरें साझा की थी। जिसमें चंद्रमा का वह फॉर साइड दिख रहा था। जिससे धरती पर बैठकर किसी भी टेलिस्कोप से नहीं देखा जा सकता। लेकिन इस वक्त की सबसे बड़ी खबर यह है कि चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंड कर चुका है। जिसके तुरंत बाद उसने अपने अंदर लगे एडवांस हाई क्वालिटी कैमरा की मदद से चांद के दक्षिणी ध्रुव की पहली झलक कैप्चर कर ली है। और अगले 14 दिनों तक बड़े कमाल करने वाला है। जिसका खुलासा आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से करने वाले है। और साथ ही साथ आपको बताएँगे इस मिशन से जुड़ा हुआ वो हर एक पहलू जिसे देखने के बाद आपके मन में इसरो की इज्जत और भी 10 गुना बढ़ जाएगी तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िएगा।
दोस्तों 14 जुलाई को पृथ्वी से चांद के लिए रवाना हुए चंद्रयान-3 ने दुनिया भर में भारत का इतिहास रच दिया है। जब विक्रम लैंडर ने 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच पाया। चंद्रमा आज भी अपने अंदर अनेक ऐसे रहस्य समेटे हुए हैं। इसलिए दुनिया भर के वैज्ञानिक इसमें काफी रूचि दिखाते हैं। इसी बीच इसरो की तरफ से बहुत ही बड़ी गुड न्यूज़ आ रही है। कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की कंडीशन बिल्कुल ठीक है। और इसलिए चंद्रमा पर रिसर्च करने के लिए अपने प्र्ग्यान रोवर को चांद की दक्षिणी ध्रुव वाली सतह पर खुला छोड़ दिया है। और यह रोबोट अगले 14 दिनों तक चांद के बहुत बड़े खुलासे करने वाला है। वहीं विक्रम लैंडर के एडवांस कैमरा ने चांद पर अपनी लैंडिंग साइट की सबसे ताजा तस्वीरें भेजी हैं। इन लेटेस्ट फोटोस में सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट करके चमक रही चांद की खूबसूरत सतह को साफ-साफ देख सकते हैं। साथ ही यह भी देख सकते हैं कि चांद की सतह कितनी ज्यादा उबड़ खाबड़ है। जिसका यह हाल लंबे समय तक उल्का पिंडों की बारिश की वजह से हुआ है। वही लैंडिंग से ठीक पहले विक्रम लैंडर पर लगे लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरो ने चांद की कई कमाल की फोटो खींची थी।और इसरो द्वारा शेयर की गई इन तस्वीरों में आपको कुछ नाम लिखकर दिखाई दे रहे होंगे। क्योंकि चंद्रमा पर मौजूद बड़े-बड़े इंप्लांट् फ्लैट है। जो यहां से तो हमें केवल कद्दू की तरह दिखाई दे रहे हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है। कि इन्हीं रहस्यमई गड्ढों के नीचे एक 2 किलोग्राम नहीं बल्कि पूरे 10 करोड टन पानी मौजूद हो सकता है। और कई बेशकीमती खनिजों का भंडार हो सकता है। जिसका रिसर्च करने के लिए विक्रम लैंडर ने अपने प्र्ग्यान रोवर को रवाना कर दिया है।
चंद्रयान-3 के रिसर्च मिशन ऑब्जेक्टिव क्या है। और यह अपने रिसर्च के दौरान चांद के किन किन रहस्यो से पर्दा उठाने वाला है। जिससे नासा और रूस को भी जलन होने लगी है। आईये जानते हैं दोस्तों विक्रम लैंडर पर कोई चार्ज नहीं लगेगा यानी की लैंडिंग के बाद अब वह अपनी जगह पर खड़ा होकर चंद्रमा पर सर्च करेगा। जिससे यह चांद के पतले वातावरण के अंदर मौजूद प्लाज्मा पार्टिकल जारी करेगा। दिन और रात में चंद्रमा की सतह के बदलते तापमान की जांच करेगा। अपनी लैंडिंग साइट के आसपास आने वाले भूकंप की गति और तीव्रता की स्टडी करेगा। और सतह के नीचे लेज़र फेंक कर सरफेस एलिमेंट की जांच करेगा। जिसके लिए इसके अंदर 4 पे लोड उपकरण लगाए गए हैं जबकि चंद्रयान-3 का प्र्ग्यान रोवर अपने 6 पहियों की मदद से चलते हुए चांद के दूरदराज इलाकों की तरफ रवाना हो चुका है। और चलते-चलते इसरो को भी चांद का डेटा भेजना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि प्र्ग्यान रोवर में लेजर इन स्पेक्ट्रोमीटर और अल्फा पार्टिकल जैसे उपकरण लगाए गए जो की लेजर की मदद से चांद की सतह के अंदर तक जाएंगे। और सतह के नीचे मौजूद पानी का पता लगाएंगे। साथ ही साथ यह चांद की मिट्टी और चट्टानों में मौजूद मैग्निसियम अल्मुनियम क्रोमियम और सिलिकॉन जैसे खनिजों को भी खोज निकालेंगे। और इस रहस्यो से पर्दा उठाएंगे कि आखिर चाँद के अंदर क्या छुपा हुआ है। यानी की अगर अपने इस मिशन में विक्रम लैंडर और प्र्ग्यान रोवर ने चांद पर किसी कीमती खनिज या पानी का भंडार खोज लिया तो यह इतनी बड़ी कामयाबी होगी। कि भविष्य में जब भी चांद का नाम लिया जाएगा तो इसके साथ ही इसरो और भारत का नाम भी जोड़ा दिया जाएगा।
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आपको बता दें कि रिसर्च मिशन में चांद के वे लूनर दिन होते हैं। जो कि पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। जिसके बाद चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर और प्र्ग्यान रोवर अपने आप निष्क्रिय हो जाएंगे। और सदियों तक चांद की सतह पर खड़े होकर भारत के नाम का ठप्पा लगा देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इसरो ने विक्रम लैंडर को वापस लाने का कोई प्लान नहीं बनाया है। वहीं इसे सिर्फ दिन के वक्त ही काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यानी 14 दिन के बाद जब विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट पर अगले 14 दिन के लिए रात होगी। तब इसके सोलर पैनल चार्ज नहीं हो पाएंगे। और धीरे-धीरे इसके सभी उपकरण बंद हो जाएंगे। हालांकि यहां गौर करने वाली बात यह है। कि इसरो के मिशन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था। मगर सवाल यह उठता है की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करना इतना मुश्किल क्यों है। क्यों 23 अगस्त का दिन इसरो के इतिहास का सबसे ऐतिहासिक दिन बन चुका है। और क्यों इसरो की इस उपलब्धि से ब्रिटेन चीन और रूस जलकर राख हो चुके हैं। दरअसल दोस्तों चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारना आसमान से तारे तोड़ने के समान है। क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव वाले जायदातर हिस्से पर सूरज की रोशनी उतनी नहीं पहुंच पाती जितनी चांद के दूसरे हिस्सों पर पहुंचती है। इसी वजह से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चारों तरफ घनघोर अंधेरा रहता है। वहीं पृथ्वी से चंद्रमा के इस क्षेत्र की दूरी ज्यादा होने की वजह से लैंडिंग के दौरान कमांड सेंटर का विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने का खतरा बना रहता है। साथ ही चांद पर ऐसा कोई मजबूत वायुमंडल भी नहीं है। जो लैंडिंग के दौरान घर्षण पैदा करके लेंडर की रफ्तार को कम कर सके। इसी वजह से चंद्रमा के इस हिस्से में सॉफ्ट लैंडिंग करना काफी चुनौतीपूर्ण रहता है। ऐसे में किसी भी स्पेसक्राफ्ट को चांद पर लैंड करवाने का एक ही तरीका मुमकिन है। जिसे चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने ही अपनाया था। इस तरीके में लैंडर को चांद की सबसे छोटी ऑर्बिट में अपनी न्यूनतम ऊंचाई वाले बिंदु तक ले जाया जाता है। जो कि 20 से 30 किलोमीटर के बीच होता है। जिसके बाद लैंडर अपनी कक्षा छोड़कर चांद की सतह पर उतरने के लिए रवाना होता है। और नीचे पहुंचने के दौरान अपने थ्रस्टर का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। जो विपरीत दिशा में फोर्स लगाकर इंजन ब्रेकिंग का सहारा लेते हुए स्पेस क्राफ्ट की रफ्तार को कम करते हैं। रफ्तार को कम करने के बाद लेंडर के सामने जो अगली चुनौती आती है। वह होती है चांद की धूल इसी बात से आप यह अंदाजा लगा सकते हैं। कि आखिर चंद्रमा पर लैंडिंग करना कितना मुश्किल है। और इसरो के चंद्रयान-3 ने कितना बड़ा कमाल कर दिखाया है। और इस मिशन से इसरो ने वह कर दिखाया जो नासा और रूस जैसे बड़े देश भी नहीं कर पाए हैं। जबकि रूस तो चंद्रयान-3 से आगे निकलने की हड़बड़ी में एक हफ्ते पहले ही अपने लूना 25 मिशन में बुरी तरह से फेल हो चुका है। यानी भारत ने अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों को भी पछाड़ दिया है। और पाकिस्तान तो अगले सो सालों में भी स्पेस रिसर्च की फील्ड में भारत के आसपास तक नहीं पहुंच पाएगा।दोस्तों आपको क्या लगता है चंद्रयान-3 चांद पर पानी की तलाश कर पाएगा या नहीं अपनी राय हमे कमेंट में जरूर बताएं।
दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको Chandrayaan-3 Live Update के बारे में पूरी जानकारी दी है हम उम्मीद करते है की आपको हमारी दी गयी ये जानकारी जरूर पसंद आयी होगी। चंद्रयान-3 से जुड़ा अगर आपको ये नॉलेजेबल आर्टिकल अच्छा लगा है तो इस आर्टिकल को लाइक एंड शेयर जरूर करें ताकि दुसरो को भी ऐसी नॉलेजेबल जानकारी मिल सके।
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