Mata Katyayani Shaktipeeth Vrindavan: उत्तर प्रदेश के मथुरा वृन्दावन में स्थित कात्यायनी देवी मंदिर देवी के सती के शक्तिपीठो में शामिल है इस जगह राधा जी ने कृष्ण को पाने के लिए तप किया था. इस लेख में हम आपको कात्यायनी शक्तिपीठ की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है. तो आप इस लेख को अंत तक जरुर पढ़े।

माता कात्यायनी शक्तिपीठ का इतिहास (Mata Katyayani Shaktipeeth History in Hindi)

कात्यायनी का यह “शक्तिपीठ मंदिर” भगवान श्रीकृष्ण की नगरी में वृन्दावन में स्थित है जिसको देवी सती के 51 शक्तिपीठो में से एक माना जाता है। हिन्दू धर्म का यह प्राचीन मंदिर माता सती के शक्ति रूप को समर्पित है। इस स्थान पर देवी सती के केश (बाल) गिरे थे। इस मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह में कात्यायनी देवी की प्रतिमा स्थापित है। यहाँ की शक्ति को कात्यायनी देवी तथा भैरव को भूतेश के रूप में पूजा जाता है।

कात्यायनी शक्तिपीठ की पौराणिक कथा (Mata Katyayani Shaktipeeth Story in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी। जिनका का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने निवास स्थान कनखल हरिद्वार में एक भव्य यज्ञ का आयोजन कराया और इस भव्य यज्ञ में दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को छोड़कर बाकि सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। जब माता सती को पता चला की मेरे पिता ने इस भव्य यज्ञ मेरे पति को आमंत्रित नहीं किया। अपने पिता द्वारा पति का यह अपमान देख माता सती ने उसी यज्ञ में कूदकर अपने प्राणो की आहुति देदी थी।

यह सुचना सुनकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए अपने अर्ध-देवता वीरभद्र और शिव गणों को कनखल युद्ध करने के लिए भेजा। वीरभद्र ने जाकर उस भव्य यज्ञ को नस्ट कर राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी सभी देवताओं के अनुरोध करने पर पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को दोबारा जीवन दान देकर उस पर बकरे का सिर लगा दिया। यह देख राजा दक्ष को अपनी गलतियों का पश्च्याताप हुआ और भगवान शिव से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। तभी भगवान शिव ने सभी देवी देवताओं के सामने यह घोषणा कि हर साल सावन माह, में कनखल में निवास करूँगा।

भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित होते हुए सती के मृत शरीर उठाकर पुरे ब्रह्माण के चक्कर लगाने लगे। तब पश्चात भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित करा था। जिस कारन से सती के जले हुए शरीर के हिस्से पृत्वी के अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे। जहा-जहा पर सती के शरीर के भाग गिरे थे वे सभी स्थान “शक्तिपीठ” बन गए। जहा पर कात्यायनी देवी का मंदिर है इस स्थान पर माता सती के केश यानी बाल गिरे थे। इसीलिए इस मंदिर की गणना 51 शक्तिपीठो में की जाती है। भक्त यहां पर आकर कात्यायनी देवी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है।

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Mata Katyayani Shaktipeeth Vrindavan के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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अगर आप कनखल हरिद्वार में स्थित देवी सती के पिता राजा दक्षेस्वर महादेव मंदिर के बारे में पूरी जानकारी चाहते है तो नीचे दिए गए Link पर Click करे।

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