कावड़ यात्रा, हरिद्वार, इतिहास, कब शुरू होगी, कब खत्म होगी, कावड़ यात्रा कैसे करे (Kawad Yatra Latest News 2021 in Hindi)
कावड़ यात्रा : कावड़ यात्रा शिव भक्तो के लिए एक सबसे बड़ी यात्रा मानी जाती है जो की सावन के महीने में शुरू होती है भोले के इस पर्व को मानाने के लिए लाखो की तादात में कावड़िये हर साल हरिद्वार गंगा जल लेने के लिए आते है और शिवरात्रि वाले दिन उस जल से भोले का जल अभिषेक करते है कई कावड़िये पूरा महादेव मंदिर, तो कई कावड़िये नीलकंठ महादेव मंदिर में जाकर भोले बाबा का जल अभिषेक करते है वही काफी कावड़िये ऐसे भी होते है जो अपने घर के नजदीक के शिवालये में जाकर भोले को जल अर्पित करते है।
दोस्तों इस लेख के माध्यम से आज हम आपको Kawad Yatra 2021 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है तो सबसे पहले आपसे निवेदन है की इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
Table of Contents
कावड़ यात्रा का इतिहास (Kawad Yatra History in Hindi)
हिंदू पुराण के अनुसार कावड़ यात्रा का बड़े विस्तार के साथ उल्लेख किया हुआ है जिसका संभंध सीधे समुद्र मंथन से जुड़ा है। समुद्र मंथन के दौरान पूरी शिष्ट्री को बचाने के लिए भगवान शिव ने हलाहल नाम का विष अपनी कंठ में धारण किया था। जिसे उनका शरीर पूरा नीला पड गया था, ऐसा कहते है की त्रेता युग समय रावण ने भगवान शिव का ध्यान किया और उनकी कंठ की जलन को शांत करने के लिए कावड़ का उपयोग किया था जिसमे उन्होंने गंगा के पवित्र जल को लाकर भगवन शिव को अर्पित किया, इस प्रकार भगवान शिव से विष की नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया था।
कावड़ क्या है (What is Kawad Yatra)
कावड़ को एक खोखले बांस कहा जाता है। जिसमे अनेको प्रकार की सजावट की जाती है लेकिन जो कावड़ का भार होता है वो सिर्फ खोखले बांस पर ही टिका होता है इसी कावड़ में गंगा जल रखकर कावड़िया अपने कंधे पर पैदल लेकर चलता है और अपने स्थान तक इस यात्रा को पूर्ण करता है।
हरिद्वार कावड़ यात्रा 2021 (Haridwar Kawad yatra 2021 in Hindi)
माँ गंगा की पावन नगरी हरिद्वार में गंगा जल का महत्व कुछ अलग ही बताया गया है इसीलिए हर साल सावन के महीने में यहां सबसे ज्यादा भीड़ लगती है लेकिन कोरोना की महामारी के चलते इस कावड़ यात्रा को 2020 में निरस्त किया गया था, वही अब 2021 में सावन का महीना शुरू होने वाला है, और भोले के भक्त इस बार इंतजार कर रहे है की क्या इस बार भी कावड़ यात्रा होगी या नहीं, कावड़ यात्रा को लेकर अभी तक उत्तराखंड सरकार ने कोई भी निर्णय नहीं लिया है, वही बड़ी एक खुसखबरी यहां भी है 1 July 2021 से उत्तराखंड की चार धाम यात्रा शुरू की जाएगी जिसमे अभी Covid-19 की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ उत्तराखंड के कुछ जिलों को ही अनुमति मिली है वही अभी हरिद्वार की कावड़ यात्रा में काफी समय बाकी है।
कावड़ यात्रा 2021 कब शुरू और खत्म होगी (Kawad Yatra 2021 Start and End Date in Hindi)
पूर्णिमा पंचांग के अनुसार इस कावड़ यात्रा को सावन माह के प्रथम दिन ही शुरू किया जाता है जिसमे शिव भक्तो की सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इस यात्रा की लंबाई भगवान शिव के शिवालय से लेकर उस स्थान पर निर्भर करती है, जहां गंगा जल भरा है। और शिवरात्रि वाले दिन इस यात्रा को सम्पूर्ण किया जाता है कियोंकि शिवरात्रि के दिन तक कावड़ियों को यह दूरी तय करनी होती है। इस बार यह यात्रा 25 July 2021 से शुरू होनी है और 06 August 2021 शिवरात्रि वाले दिन समाप्त होनी है।
कांवड़ कितने प्रकार की होती है (How may types of Kawad in Hindi)
1. डाक कांवड़ (Dak Kawad in Hindi)
डाक कावड़ शिवरात्रि से दो या तीन दिन पहले ही शुरू होती है जिसमे कावड़िये DJ के धूम के साथ चलते है इस कावड़ में जल को एक बार उठाकर फिर अपने स्थान तक बिना रोके ही लेजाया जाता है डाक कावड़िया में 15-20 शिव भक्त एक साथ इक्कठा होकर इस यात्रा को अपने स्थान तक बिना रुके पूरा करते है। हरिद्वार में स्नान और पूजा अर्चना करने के बाद, गंगाजल उठाकर अपने गंतव्य की ओर वापस चले जाते है।

2. खड़ी कांवड़ (Khadi Kawad in Hindi)
खड़ी कांवड़ यात्रा शिवरात्रि से लगभग 20-25 दिन पहले शुरू हो जाती है शिव भक्त इस यात्रा को पैदल चलकर पूरा करते है जिसने काफी भक्त नंगे पाँव ही चलते है अपनी कड़ी कावड़ को शिव भक्त जमींन पर नहीं रखते है इस दौरान उनकी मदद के लिए कोई-न-कोई सहयोगी उनके साथ चलता ही है। या फिर जगह जगह पर कावड़ को रखने के लिए स्टैंड बने होते है ताकि शिव भक्त आराम भी कर सके।

3. दांडी कांवड़ (Dandi Kawad in Hindi)
दांडी कांवड़ यात्रा शिव भक्तो के लिए सबसे कठिन यात्रा होती है दांडी कावड़ एक ऐसी कावड़ होती है जिसमे भक्त धरती पर अपने शरीर की लंबाई से लेटकर दंड करते हुए शिवधाम तक अपनी यात्रा पूरी करते है। अधिकतर भक्तो की जमींन पर लेटने से शरीर की खाल भी उतर जाती है लेकिन जब भोले की आस्था साथ में होती है तो कावड़िये इस यात्रा को मन से पूरी श्रद्धा के साथ करते है इस कावड़ यात्रा में एक महीने तक का वक्त भी लग जाता है।

कावड़ यात्रा कैसे करे (How to travel to Kawad Yatra in Hindi)
शिव भक्तो को श्रद्धा पूव्रक कावड़ यात्रा करने के लिए काफी नियमो का पालन करना पड़ता है
1. कावड़ यात्रा के दौरान कावड़िया भोजन और नमक का सेवन किए बिना इस यात्रा को पूरी करते हैं।
2. जब कावड़िया अपनी कावड़ को कंधे पर लेकर चलता है तो उस समय जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
3. इस यात्रा में कावड़ियों को अपनी कावड़ जमीन पर नहीं चाहिए और भगवान शिवजी को जल अर्पित किए बिना घर नहीं लौटना चाहिए।
4. कावड़ यात्रा के दौरान कावड़ियों को एक दूसरे का नाम नहीं लेना चाहिए बल्कि आपस में एक दूसरे को भोले के नाम से संबोधित करना चाहिए।
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1. मनसा देवी मंदिर हरिद्वार – Mansa Devi Temple Haridwar
2. चंडी देवी मंदिर हरिद्वार – Chandi Devi Temple Haridwar
3. माया देवी मंदिर हरिद्वार – Maya Devi Temple Haridwar
4. दक्ष मंदिर हरिद्वार – Daksha Temple Haridwar
कावड़ यात्रा की और अधिक जानकारी के लिए आप हमारी ये वीडियो भी देख सकते है