Chudamani Devi Mandir Story in Hindi | चूड़ामणि मंदिर में चोरी करने से पुत्र की प्राप्ति होती है

Chudamani Devi Mandir :- हमारे भारत देश में ना ही चमत्कारों की कमी है और ना ही रहस्यों की। यहां पर अलग-अलग मंदिर और सबकी अपनी अलग-अलग मान्यताएं होती है। लेकिन क्या कभी आपने इस मंदिर के बारे में सुना है। जहा पर चोरी करने से भक्तो की मनोकामना पूरी होती है। चोरी करना पाप है यह आपको भी पता है और हमे भी, लेकिन इस मंदिर की परम्परा और मान्यता दूसरे मंदिरो से बिलकुल हटकर है।

Chudamani Devi Mandir

दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे शक्ति पीठ चूड़ामणि देवी मंदिर (Chudamani Devi Mandir) के बारे बताने जा रहे है। जो उत्तराखंड राज्य में रुड़की शहर के चुड़ियाला गांव में स्थित है। जी हां, इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां भक्त मंदिर से एक खास चीज़ चोरी करके अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं। आखिर में क्या है इस मंदिर की पूरी कहानी और क्यों की जाती है यहा पर चोरी, तो आईये इस मंदिर की मान्यता और रहस्य को जानने के लिए इस आर्टिकल पूरा जुरूर पढ़े।

Chudamani Devi Mandir History in Hindi (चूड़ामणि देवी मंदिर का इतिहास)

चूड़ामणि देवी का यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रूड़की शहर से लगभग 19 km दूर एक चुड़ियाला गांव में स्थित है। देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक माँ चूड़ामणि देवी का यह प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर, जो माता सती के शक्ति रूप को समर्पित है। देवी पुराण के अनुसार जहा पर आज चूड़ामणि मंदिर स्थित है यहां पर माता सती का चूड़ा गिरा था। इसलिए इसे चूड़ामणि मंदिर के नाम से जाना जाता है।Chudamani Devi Mandir

चूड़ामणि देवी मंदिर का इतिहास धार्मिक, सांस्कृतिक और स्थानीय लोककथाओं से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। रुड़की में स्थित यह मंदिर माता दुर्गा के “चूड़ामणि” स्वरूप को समर्पित है। मंदिर का नाम “चूड़ामणि” देवी सति के एक विशेष रूप से संबंधित है, जिसे चूड़ामणि के नाम से पूजा जाता है। “चूड़ामणि” शब्द का अर्थ है “शीर्ष आभूषण” या “मणि” (रत्न), जो देवी की दिव्यता और उनकी उच्चता का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में देवी दुर्गा के आशीर्वाद से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि यह मंदिर क्षेत्रीय श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।

Chudamani Devi Mandir Story in Hindi (चूड़ामणि देवी मंदिर की पौराणिक कथा)

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थी। जिनका का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने निवास स्थान कनखल हरिद्वार में एक भव्य यज्ञ का आयोजन कराया और इस भव्य यज्ञ में दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को छोड़कर बाकि सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। जब माता सती को पता चला की मेरे पिता ने इस भव्य यज्ञ मेरे पति को आमंत्रित नहीं किया। अपने पिता द्वारा पति का यह अपमान देख माता सती ने उसी यज्ञ में कूदकर अपने प्राणो की आहुति देदी थी।Chudamani Devi Mandir

यह सुचना सुनकर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए अपने अर्ध-देवता वीरभद्र और शिव गणों को कनखल युद्ध करने के लिए भेजा। वीरभद्र ने जाकर उस भव्य यज्ञ को नस्ट कर राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी सभी देवताओं के अनुरोध करने पर पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को दोबारा जीवन दान देकर उस पर बकरे का सिर लगा दिया। यह देख राजा दक्ष को अपनी गलतियों का पश्च्याताप हुआ और भगवान शिव से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी। तभी भगवान शिव ने सभी देवी देवताओं के सामने यह घोषणा कि हर साल सावन माह, में कनखल में निवास करूँगा।

भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित होते हुए सती के मृत शरीर उठाकर पुरे ब्रह्माण के चक्कर लगाने लगे, तब पश्चात भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित करा था। जिस कारन से सती के जले हुए शरीर के हिस्से पृत्वी के अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे। जहा-जहा पर सती के शरीर के भाग गिरे थे वे सभी स्थान “शक्तिपीठ” बन गए । जहा पर चूड़ामणि देवी का मंदिर है इस स्थान पर माता सती का चूड़ा गिरा था, इसीलिए इस मंदिर की गणना 51 शक्तिपीठो में की जाती है। अधिकतर शादी शुदा जोड़े (पति-पत्नी) यहां पर लकड़ी का गुड्डा चोरी कर अपने पुत्र प्राप्ति के लिए माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है।

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Mystery of Chudamani Devi Mandir in Hindi (चूड़ामणि देवी मंदिर में शेर का रहस्य)

ऐसा बताया जाता है की जिस स्थान पर आज चूड़ामणि देवी का मंदिर (Chudamani Devi Mandir) है। पहले यहां पर बहुत घना जंगल हुआ करता था। और उस समय उस घने जंगल में जंगली जानवर हुआ करते थे। उसी जंगल में (जहा कभी माता सति का छुड़ा गिरा था) माता की पिंडी स्थापित थी। उसी जगह पर शेर रोज माता की पिंडी पर आकर अपना मत्था टेक कर दहाड़ मारते थे। जिसे सुनकर गांव के लोगो को बहुत भये लगता था। की ऐसा क्यों हो रहा है।

Construction of Chudamani Devi Mandir in Hindi (चूड़ामणि देवी मंदिर का निर्माण)

दोस्तों अगर हम चूड़ामणि देवी मंदिर (Chudamani Devi Mandir) के इतिहास की बात करे तो संन 1805 में इस मंदिर का निर्माण लंढौरा के राजा ने करवाया था। गांव के बड़े बुजुर्गो और इतिहासकारो का कहना है की एक बार लंढौरा के राजा इस जंगल में शिकार करने आये थे। और जंगल में घूमते-घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए जिस पर माता के चूड़ा का आकर बना हुआ था। राजा को कोई पुत्र नहीं था। इसीलिए राजा ने माता के सामने हाथ जोड़कर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना मांगी जो जल्द ही पूरी हो गयी थी। तपश्चात राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।

Tradition of theft in Chudamani Devi Mandir in Hindi (चूड़ामणि मंदिर में चोरी करने की परम्परा)

ऐसी मान्यता है की इस मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह के अंदर चूड़ामणि देवी की पिंडी के सामने एक लकड़ी का गुड्डा रखा रहता है। और भक्त यानि पति-पत्नी एक साथ इस मंदिर में आकर इस लकड़ी के गुड्डे को चुराते है। और माता से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना मांगते है। ऐसा करने से उनकी यह मनोकामना जल्द ही पूरी हो जाती है। मनोकामना पूरी होने के बाद पति-पत्नी अपने पुत्र के साथ मंदिर में फिर आते है। और माता को लकड़ी के बने हुए दो गुड्डे चढाते है। और अपनी इच्छा अनुसार मंदिर परिसर में भंडारा वितरण करते है।Chudamani Devi Mandir

चूड़ामणि देवी मंदिर (Chudamani Devi Mandir) की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। क्योंकि अक्सर लंढौरा के राजा इस जंगल में शिकार करने के लिए आया करते थे। और जंगल में घूमते-घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए जिस पर माता के चूड़ा का आकर बना हुआ था। राजा को कोई पुत्र नहीं था इसीलिए राजा ने माता के सामने हाथ जोड़कर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना मांगी जो जल्द ही पूरी हो गयी थी। तपश्चात राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। तभी से चोरी की यह परम्परा शुरू हुई थी।

How to reach Chudamani Devi Mandir in Hindi (चूड़ामणि देवी मंदिर में कैसे पहुंचे)

चूड़ामणि देवी मंदिर, जो रुड़की, उत्तराखंड में स्थित है, एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल है। चूड़ामणि देवी मंदिर (Chudamani Devi Mandir) में पहुंचने के लिए आपको रूड़की आना होगा जो की बस या रेल दोनों मार्ग से जुड़ा हुआ है यहां से आप (अपनी गाड़ी या ऑटो रिक्शा या फिर बस) से 10 km दूर भगवानपुर जाना होगा और वहा से 9 km आगे चुड़ियाला गांव है और वही पर स्थित है ये चूड़ामणि देवी मंदिर। यहां तक पहुंचने के लिए आप विभिन्न साधनों का उपयोग कर सकते हैं। यहां पहुंचने के मुख्य मार्ग इस प्रकार हैं।

How to reach Chudamani Devi Mandir by Air (हवाई मार्ग से चूड़ामणि देवी मंदिर कैसे पहुंचे)

दोस्तों अगर आप हवाई मार्ग से रुड़की आना चाहते है तो आपको सबसे पहले देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट में आना होगा। वहा से रुड़की शहर की दुरी लगभग 70-75 किलोमीटर है। जिसे आप बस या फिर टैक्सी से तय कर सकते है।

निकटतम हवाई अड्डा: देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (लगभग 70-75 किलोमीटर दूर)।
हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस द्वारा रुड़की और फिर चूड़ामणि मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

How to reach Chudamani Devi Mandir by Train (रेल मार्ग से चूड़ामणि देवी मंदिर कैसे पहुंचे)

अगर आप रेल मार्ग के द्वारा रुड़की शहर आना चाहते है तो निकटतम रेलवे स्टेशन रुड़की रेलवे स्टेशन है। रुड़की रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से मंदिर तक आप ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, या बस द्वारा पहुंच सकते हैं। यहां से मंदिर की दुरी लगभग 21 किलोमीटर की है।

How to reach Chudamani Devi Mandir by Road (सड़क मार्ग से चूड़ामणि देवी मंदिर कैसे पहुंचे)

रुड़की उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप निजी वाहन, टैक्सी, या बस द्वारा रुड़की पहुंच सकते हैं। रुड़की से दिल्ली (लगभग 175 किलोमीटर), रुड़की से हरिद्वार (लगभग 30 किलोमीटर), और रुड़की से देहरादून (लगभग 70 किलोमीटर) से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। रुड़की पहुंचने के बाद, आप स्थानीय परिवहन जैसे ऑटो-रिक्शा या टैक्सी का उपयोग करके चूड़ामणि देवी मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

रुड़की शहर के भीतर यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसलिए स्थानीय लोगों से पूछकर या Google Maps का उपयोग करके आप आसानी से मंदिर तक पहुँच सकते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए मौसम और समय का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। विशेषकर नवरात्रि और त्योहारों के दौरान जब भीड़ अधिक होती है।

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