Rameswaram Temple History in Hindi: रामेश्वरम मंदिर भगवान् विष्णु के सातवे अवतार श्री राम को समर्पित है आज इस लेख माध्यम से हम आपको भारत के चार धामों में शामिल और भगवान शिव् के 12 ज्योत्रिलिंगो में से एक रामेश्वरम मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है आपसे निवेदन है की इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

रामेश्वरम मंदिर का इतिहास (Rameswaram Temple History in Hindi)

भारत के चार धामों में से एक रामेश्वरम का यह मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है | हिन्दुओं के इस पवित्र तीर्थ स्थल में स्थापित शिवलिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों लिंगो में से एक है | जैसे उत्तर भारत में कशी की मान्यता है वैसे ही दक्षिण भारत में रामेश्वरम की मान्यता है | इस मंदिर की बनावट एक सुन्दर शंख आकर द्वीप की तरह दिखती है | चेन्नई से लगभग 420 km दूर स्थित यह मंदिर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के चारों तरफ से घिरा हुआ है |

रामेश्वरम मंदिर की पौराणिक कथा एवं किवदंतिया (Mythology of Rameswaram Temple in Hindi)

रामेश्वरम मंदिर की पौराणिक कथायो का उल्लेख सीधे रामायण से है ऐसी मान्यता है की भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्री राम जब सीता को रावण से छुड़ाने के लिए लंका की और जार रहे थे | तब उन्होंने महासागर तट के इस  स्थान पर रेत से बनाकर एक शिवलिंग की स्थापना की थी | और माहान ऋषि मुनियो को बुलाकर महायघ कर भगवान शिव की आराधना की थी |

तपश्चात भगवान श्री राम ने रावण की लंका पर जाने के लिए यहां के महासागर में पत्थरों के पूल का निर्माण कराया था | जिसपर चढ़कर श्री राम और उनकी पूरी वानर सेना लंका में पहुंची और विजय प्राप्त कर इसी पूल से वापस आयी थी | विभीषण के अनुरोध पर भगवान श्री राम ने धनुषकोटि नामक स्थान पर इस पूल को तोड़ दिया था। ऐसा बताया जाता है की आज भी पत्तर से बने इस पूल के अवशेष सागर में दिखाई देते हैं।

रामेश्वरम मंदिर का निर्माण एवं सरचना (Construction and Structure of Rameswaram Temple in Hindi)

पुराणों में रामेश्वरम् (रामनाथ) का यह मंदिर उतना पुराना नहीं है। जबकि दक्षिण क्षेत्र के कुछ बने मंदिर डेढ़-दो हजार साल पहले के है और रामेश्वरम् धाम के इस मंदिर को बने अभी आठ सौ वर्ष भी पुरे नहीं  हुए है। बल्कि मंदिर के बहुत से भाग पचास-साठ साल पहले ही बने है। रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा माना जाता है।

मंदिर के गर्भ-गृह के पास में ही 9 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं जिनको विभीषण द्वारा स्थापित करवाया गया था | परन्तु दूसरी और ऐसा भी कहा जाता है की इनका निर्माण श्रीलंका के राजा पराक्रम बाहु ने सन 1173 में करवाया था | चौकाने वाली बात तो यह है की इस मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं रखी गई | जिस वजह से यह मंदिर नि:संगेश्वर कहलाया।

रामेश्वरम मंदिर के निर्माण के बारे में पुराणों में कई तरीके से उल्लेख किया हुआ है

15वीं शताब्दी के मुताबिक राजा उडैयान सेतुपति और नागूर निवासी वैश्य ने इस मंदिर के गोपुरम का निर्माण करवाया था ।
16वीं शताब्दी के मुताबिक मंदिर में दक्षिण हिस्से की दीवार का निर्माण तिरुमलय सेतुपति ने करवाया था |
17 वीं शताब्दी के मुताबिक राजा किजहावन सेतुपति और दलवाय सेतुपति ने पूर्वी गोपुरम का आरंभ किया था।
18 वीं शताब्दी के मुताबिक रविविजय सेतुपति ने देवी-देवताओं के लिए गृह और एक मंडप बनवाया। और कुछ वर्षो बाद रामलिंग सेतुपति ने मंदिर के बाहरी परकोटे का निर्माण करवाया था|
19वीं शताब्दी के मुताबिक देवकोट्टई से एक परिवार वालो ने 126 फीट ऊंचा नौ द्वार गोपुरम निर्माण करवाया था और 1947 में इसी परिवार ने महा कुम्भाभिषेक भी करवाया था |

1000 फुट लम्बाई और 650 फुट चौड़ाई के क्षेत्र में फैला यह मन्दिर जिसका प्रवेश द्वार 40 मीटर ऊंचा है | और मंदिर में बेहद सुंदर कलाकृतियां से बने ये खंभे आकर्सन का केंद्र है।

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रामेश्वरम मंदिर खुलने एवं बंद होने का समय (Opening and Closing Timing of Rameshwaram Temple in Hindi)

मंदिर खुलने का समय – सुबह 5 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक , शाम 3.00 बजे से रात 9.00 बजे तक।

मंदिर बंद होने का समय – दोपहर 1.00 बजे से शाम 3.00 बजे तक।

हिन्दू धर्म के विशेष पर्व जैसे विजयदशमी, दीपावली और भगवान श्रीराम के जन्मदिन को बड़े धूम धाम से बनाया जाता है।

दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Rameshwaram Temple History in Hindi के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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