Dhanteras 2021: हिन्दू धर्म में Diwali (दिवाली) के पर्व का बहुत ही विशेष महत्व होता है. जिस वजह से इस पर्व को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. इस पुरे पर्व की शुरुवात धनतेरस से लेकर भैया दूज तक यानी 5 दिनों तक लगातार चलती है. इस साल 2 नवम्बर यानी मंगलवार को धनतेरस का पर्व मनाया जायेगा जिस दिन सोना, चांदी, झाड़ू, बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है. वही हिन्दू धर्म में किसी भी पर्व को अगर शुभ मुहूर्त के बिना किया जाए तो इतना लाभ नहीं मिलता, तो आइए आज के इस लेख में हम आपको धनतेरस का शुभ मुहूर्त और उसकी पूजा विधि को विस्तार से समझाते है।

Why is Dhanteras celebrated (धनतेरस क्यों मनाया जाता जाता है)

हिन्दू पौराणिक कथा अनुसार इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इसीलिए इस पर्व को भगवान धन्वंतरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिवाली के इन पांच दिनों के पर्व की शुरुवात में सबसे पहले धनतेरस,छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा, और बाद में भैया दूज होता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार 2 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। धन्वन्तरि भगवान देवताओं के चिकित्सक भी कहे जाते है इसलिए धनतेरस वाला दिन चिकित्सकों के लिये विशेष महत्व रखता है।

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Dhanteras 2021 Shubh Muhurat (धनतेरस का शुभ मुहूर्त)

गोधूलि मुहूर्त का समय – शाम 5:5pm से लेकर 5:29pm तक रहेगा।
प्रदोष काल का समय – शाम 5:35pm से लेकर रात 8:14pm तक रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त का समय – सुबह 11:42am से लेकर 12:26pm तक रहेगा।
त्रिपुष्कर योग मुहूर्त का समय – सुबह 06:06am से लेकर 11:31pm तक रहेगा। इस मुहूर्त के समय में बाजार से खरीदारी करना अति शुभ माना जाता है।
धनतेरस मुहूर्त का समय – शाम 6:18pm से लेकर 8:11pm तक रहेगा।
वैधृति योग मुहूर्त का समय – शाम 6:14pm तक रहेगा।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र मुहूर्त का समय – सुबह 11:44am मिनट तक रहेगा।
हस्त नक्षत्र मुहूर्त का समय – सुबह 11:45am से अगले दिन यानी 3 नवंबर सुबह 9:58am तक रहेगा।

Dhanteras 2021 Pooja Vidhi (धनतेरस की पूजा विधि)

धन्वन्तरि को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है इसीलिए अच्छे स्वास्थ्य, आरोग्य और धन प्राप्ति के लिये धनतेरस वाले दिन भगवान धन्वन्तरि जी की पूजा अर्चना की जाती है अपने घर के मंदिर को हमेशा ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ ही रखे, अगर मंदिर नहीं है तो एक लकड़ी की चौकी को स्थापित करे, और फिर उसके ऊपर एक लाल रंग का कपडा बिछाएं। बाद में उसके ऊपर एक भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या तस्वीर रखे, और साथ में भगवान श्री गणेश की मूर्ति भी रखे।

मंदिर या चौकी की उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश रखे कलावा और रोली लगाकर उस कलश के ऊपर चावल से भरी कटोरी भी रखें। फिर भगवान श्री गणेश और धन्वंतरि भगवान को पुष्प, धुप, दीप, कपूर, देकर उनकी आरती करे और बाद में फल, पांच मेवा, और मिश्री या फिर शुद्ध घी से बनी मिठाई का भोग लगाए। हिन्दू मान्यता अनुसार आज के दिन सतनजा को भी पूजा में रखा जाता है। जैसे गेहूं, चावल, उड़द, मूंग, चना, जौ और तिल शामिल हैं।

भगवान श्री गणेश और धन्वंतरि की आरती करने के बाद अगर सम्भव हो तो इस मंत्र का जप करें।

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृत कलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णु स्वरूप
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

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