Pandit Shridhar History In Hindi :- श्री माता वैष्णो देवी के मंदिर से जुडी कई किंवदंतियों में से एक किंवदंती जो सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध मानी जाती है। वो पंडित श्रीधर ब्राह्मण की है जिनकी धर्म पत्नी का नाम सुलोचना देवी था। वह जम्मू राज्य के कटरा शहर के निकट एक त्रिकूट पर्वत की तलहटी में स्थित हंसाली गाँव में रहते थे। पंडित श्रीधर श्री माता वैष्णो देवी के परम भक्त थे भले ही वह बहुत गरीब थे लेकिन माता वैष्णवी की भक्ति में हमेशा नील रहते थे।

Pandit Shridhar History In Hindi
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उनके अपनी कोई संतान नहीं थी। पंडित श्रीधर की कहानी माता वैष्णो देवी की महिमा और उनके चमत्कारिक प्रकट होने की कथा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कहानी श्रद्धा, भक्ति और देवी के अद्भुत चमत्कारों को दर्शाती है। तो दोस्तों आइये आज के इस आर्टिकल में हम आपको पंडित श्रीधर की कहानी विस्तृत विवरण बतायंगे।

Devotion of Pandit Shridhar पंडित श्रीधर की भक्ति

कटरा गाँव में रहने वाले पंडित श्रीधर एक निर्धन और निःसंतान ब्राह्मण थे। वे माता वैष्णो देवी के परम भक्त थे और अपने छोटे से कुटिया में अपनी पत्नी सुलोचना देवी के साथ रहते थे। श्रीधर की भक्ति अटूट थी, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।

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एक दिन पंडित श्रीधर के सपने में माता वैष्णवी कन्यारूप में प्रकट हुई और उनसे बोली की वह अपने घर एक भव्य भंडारे का आयोजन करे और उसमे सभी गांव वालो को न्योता दे। उन्होंने अपने स्वप्न की बात अपनी धर्म पत्नी सुलोचना को बताई उसके बाद माता वैष्णवी की ऐसी प्रेरणा और आश्वासन से पंडित श्रीधर ने एक भव्य भंडारे का आयोजन करने की सोची।

Pandit Shridhar organized Bhandara पंडित श्रीधर ने किया भंडारे का आयोजन

एक दिन, पंडित श्रीधर ने एक बड़े भंडारे (धार्मिक भोजन वितरण समारोह) का आयोजन करने का संकल्प लिया। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे इतने बड़े आयोजन की व्यवस्था कर सकें, लेकिन उनकी अटूट भक्ति और विश्वास ने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया।

भंडरा करने के लिए पंडित श्रीधर ने एक शुभ तिथि चुनी और अपने आसपास के गांवों में रहने वाले सभी लोगों को भंडारे में भोजन करने के लिए आमंत्रित किया। गरीबी ज्यादा होने के कारन पंडित श्रीधर ने अपने पड़ोसियों और परिचितों के घर-घर जाकर उन्हें कच्चा भोजन देने को कहा जिसे भंडारे के दिन पकाया जा सके और सभी मेहमानों को परोसा जा सके।

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हालाँकि उनमें से कुछ ही लोगो ने पंडित श्रीधर को कच्चा भोजन दिया बाकि अन्य कई लोगो ने उनको कच्चा भोजन देने से मना कर दिया। और पंडित श्रीधर को आयोजन के साधन के बिना भंडारा आयोजित करने का दुस्साहस करने के लिए उन पर ताना मारने लगे। जैसे-जैसे भंडारे का दिन नजदीक आता गया, ऐसे-ऐसे पंडित श्रीधर की की चिंता भी बढ़ने लगी।

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भंडारे से एक दिन पहले पंडित श्रीधर को पूरी रात नींद नहीं आई। बल्कि वह पूरी रात इस समस्या से जूझते रहे की भंडारे में अपने मेहमानों को कैसे ठहराया जायेगा और कैसे भोजन खिलाया जाएगा क्योंकि उनके पास न तो अपने मेहमानो को ठहराने की ववस्था थी और न ही भोजन की ववस्था थी। जब पंडित श्रीधर सुबह तक अपनी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकाल सका, तो उसने खुद को अपने भाग्य के हवाले कर दिया और माँ वैष्णवी की पूजा अर्चना में नील हो गया।

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Appearance of Vaishnavi at Pandit Sridhar’s house पंडित श्रीधर के घर वैष्णवी का प्रकट होना

दोपहर होते-होते पंडित श्रीधर के यहा मेहमान आने लगे। और जहा-जहा जैसे उन्हें जगह मिली वह सभी अपना स्थान ग्रहण करने लगे। चौकाने वाली बात तो यह थी की पंडित श्रीधर की एक छोटी सी कुटिया में सभी के सभी मेहमान आराम से जगह बनाने में सक्षम थे उसके बाद भी काफी जगह खाली थी। जब पंडित श्रीधर की पूजा समाप्त हुई तो उन्होंने देखा की इतनी बड़ी संख्या में मेहमान आए हुए थे।

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वह यही सोच रहा था कि अपने मेहमानों को कैसे बताए कि वह उन्हें भंडारे में खाना नहीं खिला पाएगा, तभी उसने माता वैष्णवी को एक छोटी कन्या के रूप में अपनी झोपड़ी से बाहर आते हुए देखा। और झोपडी के अंदर हर तरह के भोजन बने हुए तैयार थे माता वैष्णवी की कृपा से, सभी मेहमानों को उनकी पसंद का भोजन खिलाया गया और गुरु गोरखनाथ के शिष्य भैरों नाथ द्वारा उठाई गई कुछ समस्याओं के बावजूद भी भंडारा बहुत सफल रहा।

Arrival of Bhairav ​​Nath in Pandit Shridhar’s Bhandara पंडित श्रीधर के भंडारे में भैरव नाथ का आगमन

पंडित श्रीधर के इस भंडारे में, भैरव नाथ नामक एक तांत्रिक भी आया, उसने उस कन्या (माँ वैष्णो देवी) से मॉस मदिरा की मांग की, कन्या के मना करने पर उसने कन्या (माँ वैष्णो देवी) से उनकी वास्तविक पहचान पूछी और उनकी शक्ति की परीक्षा लेने की कोशिश की। भैरव नाथ माँ वैष्णो देवी की शक्ति को पहचान गया। माँ वैष्णो देवी ने भैरव नाथ को समझाने की कोशिश की, लेकिन उसने उनका पीछा करना शुरू कर दिया।

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Trip to Trikoot Mountain त्रिकूट पर्वत की यात्रा

माँ वैष्णो देवी ने भैरव नाथ से बचने के लिए त्रिकूट पर्वत की ओर प्रस्थान किया। उन्होंने गुफा में प्रवेश किया और ध्यान में लीन हो गईं। भैरव नाथ ने उनका पीछा किया और अंततः गुफा के बाहर पहुँच गया। माँ वैष्णो देवी ने गुफा से बाहर आकर भैरव नाथ का वध कर दिया। मरते समय भैरव नाथ ने क्षमा याचना की और माँ ने उसे मोक्ष प्रदान किया। और कहा की जो भी भक्त मेरे दर्शन करने के लिए आएगा वो तुम्हारे भी दर्शन करेगा तभी उसकी पूजा लगेगी। भैरव नाथ का सिर भैरव घाटी में गिरा, जहाँ आज भैरव नाथ का मंदिर स्थित है।

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Blessings of Shridhar Pandit श्रीधर पंडित का आशीर्वाद

माँ वैष्णो देवी ने श्रीधर पंडित को दर्शन दिए और उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनकी भक्ति और श्रद्धा की चर्चा युगों-युगों तक होगी। माँ ने श्रीधर को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी दिया। और कहा की तुम्हारे वंशज ही मेरी पूजा अर्चना करते रहेंगे। श्रीधर पंडित के घर में माँ की कृपा से सुख और समृद्धि का वास हुआ।

पंडित श्रीधर और माता वैष्णो देवी की यह कथा न केवल उनकी भक्ति और आस्था की कहानी है, बल्कि यह माता की चमत्कारिक शक्तियों और उनके भक्तों के प्रति अनंत प्रेम का भी प्रतीक है। यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और विश्वास से सभी कठिनाइयाँ दूर हो सकती हैं और देवी की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है। इस प्रकार, माता वैष्णो देवी की कथा और पंडित श्रीधर की भक्ति का उदाहरण हमेशा से श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।

Ancient Mata Vaishno Bhumika Temple Hansali Village प्राचीन माता वैष्णो भूमिका मंदिर हंसाली गांव

हंसाली गाँव में स्थित प्राचीन माता वैष्णो भूमिका मंदिर का एक विशेष महत्व है। यह स्थान माता वैष्णो देवी की कथा और इतिहास में विशेष स्थान रखता है। हंसाली गाँव, जो कटरा के पास स्थित है, श्रीधर पंडित से जुड़ी पौराणिक कथा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हंसाली गाँव में स्थित यह मंदिर वह स्थान है जहाँ पंडित श्रीधर रहते थे। यहीं से उनकी भक्ति की कहानी शुरू होती है, जो माता वैष्णो देवी के दिव्य प्रकट होने से जुड़ी है।

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हंसाली गाँव में स्थित माता वैष्णो देवी का प्राचीन मंदिर भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर माता की दिव्य उपस्थिति और उनकी कृपा का प्रतीक है। यहाँ पर भक्त माता की आराधना और पूजा-अर्चना करते हैं।

How to reach Pandit Shridhar’s Hansali village पंडित श्रीधर के हंसाली गाँव कैसे पहुंचे

पंडित श्रीधर के हंसाली गाँव पहुँचने के लिए आप कई तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। हंसाली गाँव जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में स्थित है, और यह कटरा के पास स्थित है। कटरा, वैष्णो देवी यात्रा का प्रमुख प्रारंभिक बिंदु है। यहाँ हंसाली गाँव पहुँचने के विभिन्न तरीकों का विवरण दिया गया है।

हवाई यात्रा

  1. निकटतम हवाई अड्डा: जम्मू एयरपोर्ट (सतवारी एयरपोर्ट) हंसाली गाँव का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है, जो लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  2. जम्मू एयरपोर्ट से कटरा: हवाई अड्डे से कटरा पहुँचने के लिए आप टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं। टैक्सी यात्रा अधिक सुविधाजनक और तेज होती है।

रेल यात्रा

  1. निकटतम रेलवे स्टेशन: कटरा रेलवे स्टेशन (श्री माता वैष्णो देवी कटरा रेलवे स्टेशन) हंसाली गाँव का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
  2. कटरा रेलवे स्टेशन से हंसाली गाँव: कटरा रेलवे स्टेशन से हंसाली गाँव टैक्सी या ऑटो रिक्शा के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

सड़क यात्रा

  1. जम्मू से कटरा: जम्मू से कटरा के लिए नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। दूरी लगभग 45 किलोमीटर है और यात्रा में लगभग 1 से 2 घंटे लगते हैं।
  2. कटरा से हंसाली गाँव: कटरा से हंसाली गाँव पहुँचने के लिए आप पैदल यात्रा कर सकते हैं या टैक्सी और ऑटो रिक्शा का उपयोग कर सकते हैं।

मार्ग विवरण

  1. जम्मू से कटरा:
    • बस सेवा: जम्मू बस स्टैंड से कटरा के लिए नियमित बसें चलती हैं। यह एक सस्ता और सुविधाजनक विकल्प है।
    • टैक्सी सेवा: जम्मू से कटरा के लिए प्राइवेट और शेयर टैक्सी सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। यह थोड़ा महंगा विकल्प हो सकता है, लेकिन अधिक आरामदायक होता है।
  2. कटरा से हंसाली गाँव:
    • पैदल यात्रा: हंसाली गाँव कटरा के पास स्थित है, और यदि आप स्वस्थ और उत्साही हैं, तो आप पैदल यात्रा कर सकते हैं। यह यात्रा लगभग 2-3 किलोमीटर की है और आपको ग्रामीण परिवेश का आनंद लेने का मौका देती है।
    • टैक्सी/ऑटो रिक्शा: कटरा से हंसाली गाँव के लिए टैक्सी और ऑटो रिक्शा भी उपलब्ध हैं, जो आपको जल्दी और सुविधाजनक तरीके से वहाँ पहुँचा सकते हैं।

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दोस्तों हम उम्मीद करते है कि आपको Pandit Shridhar History In Hindi पंडित श्रीधर की कहानी की पूरी जानकारी के बारे में पढ़कर आनंद आया होगा।

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