Pura Mahadev Mandir History in Hindi : पूरा महादेव मंदिर उत्तेरप्रदेश के बागपत जिले से 4.5 km दूर पूरा गांव में स्थित है परशु के महादेव कहे जाने वाले इस मंदिर को परशुरामेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव को समर्पित यह प्राचीन मंदिर शिवभक्तों के लिए एक आस्था का केन्द्र है। जिसे सिध्दपीठ भी कहा जाता है। नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको पूरा महादेव मंदिर की पूरी कहानी को बताने वाले है तो आपसे निवेदन है की इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

पूरा महादेव मंदिर का इतिहास (Pura Mahadev Mandir History in Hindi)

जिस जगह पर आज पूरा महादेव मंदिर स्थित है कई सालो पहले इस जगह पर कजरी वन हुआ करता था। जहा पर जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका के साथ अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका हर रोज मिटटी से कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी से जल भर कर लाती थी। और वह जल भगवान् शिव को अर्पित करती थी। हिंडन नदी को पंचतीर्थी और हरनन्दी के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक राजा थे जिनका नाम सहस्त्र बाहु था एक दिन वो जंगल में शिकार करते-करते कजरी वन के उस आश्रम में पहुंच गए। रेणुका ने अपने पति अनुपस्थिति में कामधोनु गाय की कृपा से राजा का आदर संम्मान किया। लेकिन राजा का मन उस कामधोनु गाय को अपने साथ ले जाने का हुआ। लेकिन राजा अपनी चाल में सफल नहीं हो सका। राजा ने ग़ुस्से में आकर रेणुका को बंदी बना लिया और अपने हस्तिनापुर वाले महल ले जाकर कमरे में बन्द कर दिया। जब इस बात का महारानी को पता लगा तो उन्होंने मौका पते ही रेणुका को मेहल से मुक्त्त कर दिया।

जैसे तैसे रेणुका अपने आश्रम पहुंची और अपने पति ऋषि को सारी कहानी सुनाई। लेकिन ऋषि ने रेणुका से कहा तुम एक रात किसी दूसरे पुरूष के महल में रहकर आयी हो, तुम्हे अब ये आश्रम हमेशा के लिए छोड़ना होगा। रेणुका ने ऋषि से बार-बार प्राथना भी की लेकिन ऋषि अपनी बात पर अटल रहे। बाद में रेणुका ने ऋषि से कहा की में आश्रम छोड़कर कही नहीं जाउंगी, अगर तुम्हे मुझ पर विशवास नहीं तो तम मुझे अपने हाथों से उसे मार दें। अपने पति के हाथो मरकर मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।

बाद में जमदग्नि ऋषि ने अपने चारो पुत्र को बुलाया और उनसे कहा की अपनी माता का सर धड़ से अलग करदो, तीन पुत्रों ने तो साफ़ इंकार कर दिया था की हम अपनी माता के साथ ऐसा नहीं करेंगे।

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परशुराम कौन थे (Who is Parshuram in Hindi)

परशुराम जमदग्नि ऋषि के चौथे पुत्र थे जिन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए माता का सिर धड़ से अलग कर दिया। ऐसा करने के बाद परशुराम जी को घोर पश्याताप महसूस हुआ, बाद में उन्होंने वहाँ एक पर शिवलिंग स्थापित किया और भोले की भक्ति में लीन होकर तप करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान मांगने को कहा। तब परशुराम जी ने अपनी माता को जीवित करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने तभी उनकी माता को जीवित कर दिया, और साथ में एक फरसा भी दिया, और बोले की युद्ध के समय जब भी तुम इसका उपयोग करोगे तो विजय सिर्फ तुम्हारी होगीपरशुराम ने युद्ध के दौरान अपने फरसे से राजा सहस्त्रबाहु और उसकी सेना को मार गिराया। जिस स्थान पर परशुराम जी ने शिवलिंग की स्थापना की थी वहां पर एक भव्य मंदिर बनवा दिया था। लेकिन कालान्तर समय में मंदिर खंडहरों में बदल गया।

कहते है की काफी सालो बाद इधर से एक दिन लण्डौरा की रानी घूमने के लिए निकली थी, तभी उसका हाथी इसी स्थान पर आकर रुक गया। बड़ी मशक्क्त करने के बाद भी हाथी वहां से नहीं हिला। तब रानी ने अपने सैनिकों से यहां खुदाई करने को कहा। जिसमे से एक शिवलिंग प्रकट हुआ था। बाद में रानी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था जो आज परशुरामेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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पूरा महादेव मंदिर का महत्व (Importance of Pura Mahadev Mandir in Hindi)

कहते है की जो भक्त अपनी सच्ची श्रद्धा से इस मंदिर में आता है उसकी साडी मन्नत पूरी होती है सावन के महीने में इस मंदिर बहुत भीड़ रहती है और शिवरात्रि वाले दिन लाखो कावड़िये इस मंदिर में आकर जल चढ़ाते है।

पूरा महादेव मंदिर में जल की क्या परम्परा है

पुराणों अनुसार ऐसा भी कहा जाता है की परशुराम भगवान शिव का एक भक्त था, शिवलिंग पर जल चढाने के लिए उसने कावड़ का उपयोग किया और हरिद्वार से नंगे पाँव पैदल जाकर, कावड़ में जल भरकर लाया था बाद में उसने पुरमहादेव के शिवलिंग पर जल अभिषेक किया। चूंकि यह श्रावण मास में हुआ था, आज भी शिव के भक्त इस महीने में हर साल शिव लिंग पर पवित्र गंगा जल डालने की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। जैसे की आपने देखा होगा की लाखो कावड़िये श्रावण के महीने में पूरा महादेव मंदिर पर जल चढाने के लिए आते है।

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पूरा महादेव मंदिर कैसे पहुंचे (How to reach Pura Mahadev Mandir in Hindi)

पूरा महादेव मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले मेरठ या सीधा बागपत आना होगा मेरठ से मंदिर की दुरी लगभग 30 km की है जिसमे पहुंचने में 50 मिनट लग जाते है और अगर आप सीधा बागपत आते है तो वहा से मंदिर की दुरी मात्र की 4.5 km है जिसमे मुश्किल से आपके 15 मिनट लगेंगे दोनी ही जगह से बस की सुविधा उपलब्ध है आप चाहे तो अपने वहां से भी जा सकते है।

दोस्तों हम उम्मीद करते है की आपको Pura Mahadev Mandir History in Hindi की सम्पूर्ण जानकारी जानकर अच्छा लगा होगा।

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FAQ

1. Qst – जमदग्नि ऋषि की गाय का नाम क्या था?
Ans – जमदग्नि ऋषि की गाय का नाम काम धेनु था।

2. Qst – रेणुका के पिता का क्या नाम था?
Ans – रेणुका के पिता का नाम चंद्रवंशी था।

3. Qst – परशुराम महादेव मंदिर कहां पर है?
Ans – परशुराम महादेव मंदिर उत्तरप्रदेश के मेरठ शहर के पास पूरा गांव में स्थित है।

4. Qst – परशुराम किसके अवतार है?
Ans – परशुराम भगवान विष्णु के अवतार है।

आप चाहे तो पूरा महादेव मंदिर की वीडियो भी देख सकते है जिसमे हमने परशुराम जी की पूरी कहानी को विस्तार से समझाया है।

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